सार
2005 बैच के आईएएस अफसर तुकाराम मुंढे का तबादला कर दिया गया है, लेकिन उन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दी गई है। वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रभारी थे, दो महीने पहले ही तबादला करके उन्हेंर भेजा गया था, लेकिन अब फिर उनकी बदली कर दी गई है।
मुंबई (महाराष्ट्र). सरकारी नौकरी में ट्रांसफर होना आम बात है, फिर चाहे क्लर्क हो या फिर आईएएस अधिकारी। दो से पांच साल में आपका तबादला हो ही जाता है। लेकिन महाराष्ट्र के तुकाराम मुंढे एक ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जिनका 16 साल करियर में 19 बार तबादला हुआ है। कई बार तो ऐसा हुआ कि दो महीने में दो बार इधर से उधर किए गए। मुंढे की गिनती उन चुनिंदा अफसरों में होती है, जो माफिया राज और भ्रष्टाचार के खिलाफ रहते हैं। हो सकता है कि इसलिए उनको जल्द बदल दिया जाता हो। अब फिर एक बार उनके पास ट्रांसफर लेटर आया है। आइए जानते हैं इस बहादुर अफसर की कहानी...
ईमानदारी की वजह से नेताओं की बनते रहे नापसंदगी
दरअसल, 2005 बैच के आईएएस अफसर तुकाराम मुंढे का तबादला कर दिया गया है, लेकिन उन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दी गई है। वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रभारी थे, दो महीने पहले ही तबादला करके उन्हेंर भेजा गया था, लेकिन अब फिर उनकी बदली कर दी गई है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने उनके अलावा 5 और अधिकारियों का तबादला किया है। नेताओं में उन्हें लेकर नापसंदगी एक समान भाव से कायम रही है, तभी तो 16 सालों में 19 बार उन्हें सामान पैक कर शहर छोड़ कर निकलना पड़ा है।
माफियाों से मिल चुकी है जान से मारने की धमकी तक
बता दें कि तुकाराम का जन्म 3 जून 1975 को महाराष्ट्र के ही बीड जिले के ताडसोना गांव में हुआ है। वह अपनी ईमानदारी और बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। उनको जानने वाले बताते हैं वह बचपन से बुराई के खिलाफ रहे हैं। देश भावना दिल में कूट-कूटकर भरी हुई है। इतना ही ही नहीं आईएएस अफसर बनने के बाद उनका तबादला जिस भी जगह हुआ है वह वहां पर अपनी अलग ही छाप छोड़कर जाते हैं। अपने अनोखे तरीके से काम करने के अंदाज के चलते वह जनता के चहेते बन जाते हैं। वहीं अपराधियों के लिए वह दुश्मन। उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान अभी तक कई बड़े माफियाओं से ना सिर्फ पंगा लिया बल्कि ईमानदारी की वजह से उन्हें जान से मारने की धमकी तक मिलती रही है।
खेती की बाजार में सब्जी बेची और फिर बने आईएएस अफसर
तुकाराम के बारे में बताया जाता है कि आईएएस अफसर बनने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है। उन्होंनेअपने पिता के साथ खेतों में काम भी किया है। स्कूल से आ जाने के बाद वह रोजाना खेतों में काम करते थे। इसके बाद खेतों में उगाई गई सब्जियों को बाजार में बेचने भी जाया करते थे। हालांकि यह काम उनका 10वीं क्लास तक ही रहा है। क्योंकि 10वीं क्लास की पढ़ाई के बाद वह अपने रिश्तेदार के घर औरंगाबाद चले गए। यहीं से कॉलेज की पढ़ाई की। फिर साल 1996 में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद वो मुंबई आ गए। यहां उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। पहले प्रयास में उनको सफलता नहीं मिली तो वह दिनरात परीक्षा पास करने में जुट गए। नतीजा यह हुआ कि वह आईएएस बन गए। उनकी पहली पोस्टिंग सोलापुर में हुई।
16 साल में 19 बार ट्रांसफर...बीएमसी आयुक्त से लेकर कलेक्टर तक रहे
आईएएस अफसर तुकाराम अब तक पिछले 16 सालों में जिन-जिन 19 जगहों पर काम कर चुके हैं वह महाराष्ट्र के ही हैं। वह पहली पोस्टिंग के दैरान अगस्त 2005 में ट्रेनी उपजिलाधिकारी के तौर पर सोलापुर में रहे। लेकिन अपने काम करन के अंदाज के चलके उनकी बदली दो साल बाद ही 2007 में कर दी गई। इसके बाद यह सिलसिला आम सा हो गया। जनवरी 2008 में नागपुर जिला परिषद के सीईओ बने, मार्च 2009 में आदिवासी विभाग के आयुक्त बनए गए। जुलाई 2009 में वाशिम के सीईओ बने। जून 2010 में कल्याण के सीईओ बने। जून 2011 में जालना के जिलाधिकारी बने। सितंबर 2012 में वे मुंबई में बिक्रीकर सह आयुक्त बने। नवी मुंबई महापालिका के आयुक्त से लेकर कलेक्टर बने हर साल हर महीने उनका तबादला होता रहा। उनके तबादले की लिस्ट लंबी है। अब फिर उनको बदला गया है।