सार
Maharashtra Political crisis अगले दिन ठाकरे ने फिर से अपने इस्तीफे की घोषणा करने का फैसला किया। उन्होंने विदाई के तौर पर अधिकारियों की मीटिंग भी बुलाई। लेकिन शीर्ष नेता को एक बार फिर उनकी मंशा का पता चला।
मुंबई। शिवसेना (Shiv Sena) में विद्रोह व महाराष्ट्र की राजनीतिक उठापटक तेज हो चुकी है। हालांकि, इस राजनैतिक गतिरोध से पहले से ही वाकिफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कई बार पद छोड़ना चाहे लेकिन गठबंधन के वरिष्ठ साथियों ने उनको रोका। महाराष्ट्र सरकार (MVA) के सूत्रों की मानें तो शिवसेना में बगावत के बाद दो बार उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने इस्तीफा देने का मन बनाया लेकिन गठबंधन के सहयोगियों ने उनको रोक दिया। उद्धव ठाकरे को इस्तीफा से रोकने वालों के नाम का खुलासा तो नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि शरद पवार ने ही ऐसा किया। क्योंकि उनके हस्तक्षेप के बाद से बागी बैकफुट पर आए।
21 जून को ही इस्तीफा का बनाया मन
सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने 21 जून (पिछले मंगलवार) को इस्तीफा दे दिया होगा, जिस दिन एकनाथ शिंदे और 21 विद्रोही विधायकों के साथ बीजेपी शासित राज्य गुजरात के शहर सूरत में डेरा डाल लिया। सूत्रों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उसी दिन पद छोड़ने का फैसला किया और शाम 5 बजे के आसपास फेसबुक लाइवस्ट्रीम में इसकी घोषणा करने की योजना बनाई। शिवसेना प्रमुख को लग रहा था कि इससे विद्रोह कुछ शांत हो सकता है। लेकिन उन्हें महा विकास अघाड़ी गठबंधन के सबसे बड़े नेता ने इस्तीफा नहीं देने के लिए मना लिया था।
अगले दिन ठाकरे ने फिर से अपने इस्तीफे की घोषणा करने का फैसला किया। उन्होंने विदाई के तौर पर अधिकारियों की मीटिंग भी बुलाई। लेकिन शीर्ष नेता को एक बार फिर उनकी मंशा का पता चला। फिर वह उनको रोकने के लिए प्रयास किया और सफल भी हुए। उद्धव ठाकरे उस दिन भी फेसबुक लाइव हुए और इस्तीफा दे सकते हैं इसका संकेत दिया। लेकिन शीर्ष नेता ने उनको ऐसा करने से रोक दिया।
फिर ठाकरे कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे और लड़ने का निर्णय किया
नेता ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री से कहा कि समस्या को शांत करने के लिए रणनीतिक रूप से देखें व सोचें। हार मानने के बजाय इससे लड़ें। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उनकी बातों को मानते हुए जनता और अपने लोगों के बीच जाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि वह अपने त्याग पत्र के साथ तैयार हैं लेकिन चाहते थे कि बागी उनको उनके सामने यह बात कहें। ठाकरे ने कहा कि अगर एक भी बागी मेरे पास आता है और मुझसे व्यक्तिगत रूप से शिकायत करता है तो मैं पद छोड़ दूंगा।
मुख्यमंत्री ने वर्षा छोड़ मातोश्री में रहने का लिया फैसला
हालांकि, शिवसेना के बागियों को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बिना देर किए मुख्यमंत्री आवास छोड़ने का फैसला किया। वह वर्षा से निकलकर अपने पैतृक आवास मातोश्री पहुंचे। यहीं से पूरी रणनीति बनाई जाने लगी।
शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र में मचा है उथलपुथल
दरअसल, बीते दिनों शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। वह कई दर्जन विधायकों के साथ पहले सूरत पहुंचे। सियासी पारा चढ़ने के बाद शिंदे अपने विधायकों के साथ असम पहुंचे। यहां वह एक फाइव स्टार होटल में 40 से अधिक विधायकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 40 बागियों व दस अन्य का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। शिंदे ने 24 जून की रात में वडोदरा में अमित शाह व देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं पर वह और बीजेपी के नेताओं ने बातचीत की है। हालांकि, चुपके से देर रात में हुई मुलाकात के बाद शिंदे, स्पेशल प्लेन से वापस गुवाहाटी पहुंच गए।
उधर, शिंदे को पहले तो शिवसेना के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन अब फ्लोर टेस्ट और कानूनी दांवपेंच चला जाने लगा है। दरअसल, शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने सारे बागियों को वापस आने और मिलकर फैसला करने का प्रस्ताव दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से प्रवक्ता संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर एनसीपी व कांग्रेस से बागी गुट चाहता है कि गठबंधन तोड़ा जाए तो विधायक आएं और उनके कहे अनुसार किया जाएगा। लेकिन सारे प्रस्तावों को दरकिनार कर जब बागी गुट बीजेपी के साथ सरकार बनाने का मंथन शुरू किया तो उद्धव गुट सख्त हो गया। इस पूरे प्रकरण में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत मुखर होकर बागियों के खिलाफ मोर्चा लिए हुए हैं।
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