सार

 कश्मीर में कारोबार ठप हुए 50 दिन होने पर छोटे कारोबारियों और सेब व्यापारियों ने सोमवार को कहा कि वे घाटी में पाबंदियां खत्म होने की बेसब्री से उम्मीद कर रहे हैं और साथ ही उन्होंने कहा कि वे आतंकवादी समूहों की धमकियों से निपटने में अक्षम हैं।

श्रीनगर. कश्मीर में कारोबार ठप हुए 50 दिन होने पर छोटे कारोबारियों और सेब व्यापारियों ने सोमवार को कहा कि वे घाटी में पाबंदियां खत्म होने की बेसब्री से उम्मीद कर रहे हैं और साथ ही उन्होंने कहा कि वे आतंकवादी समूहों की धमकियों से निपटने में अक्षम हैं।

भारत सरकार द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद से घाटी में संचार नेटवर्कों समेत पाबंदियां हैं और पिछले सात सप्ताहों में हालात में मामूली सुधार ही देखे गए हैं। सार्वजनिक वाहन सड़कों से गायब हैं और स्कूल अपने छात्रों की उपस्थिति का इंतजार कर रहे हैं।

उत्तर कश्मीर के सोपोर और दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों में अधिकतर लोगों की आजीविका के साधन सेब कारोबार को काफी झटका लगा है। इसमें सितंबर तक 30,000 टन की कमी आई है। इसकी वजह आतंकवादी समूहों से खतरा, बाग मालिकों की पिटाई और घाटी के बाहर फल लेकर जाने वाले ट्रकों को जलाया जाना है।

आतंकवाद से पीड़ित दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के एक कारोबारी ने कहा, ''हम पुलिस को संदेश भेज रहे हैं लेकिन मीडिया में पुलिस के शीर्ष अधिकारियों द्वारा लंबे-लंबे वादे करने के अलावा जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है।''

नाम न बताते हुए इस कारोबारी ने कहा कि वह रात में किसी तरह अपने फलों को नई दिल्ली ले जा सका और उसने 60,000 रुपये कमाए। उन्होंने कहा, ''वापसी में तीन आतंकवादी मेरे पास आए और मुझे विकल्प दिया कि या तो मेरा ट्रक जला दिया जाए या फिर पैर में गोली लगने के लिए तैयार रहा जाए। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मुझे ट्रक की मरम्मत कराने में तकरीबन 1.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे।''

सेब के अन्य बागान मालिकों की भी यही कहानियां हैं। उन्होंने दावा किया कि वे आतंकवादी समूहों की धमकियों के कारण अपने फल बेच नहीं पा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि सितंबर के मध्य तक सेब बागान मालिकों, मजदूरों और वाहन चालकों को पीटे जाने या आतंकवादी समूहों द्वारा धमकाए जाने की कम से कम 40 घटनाएं दर्ज की गई।

कई जगहों से हटी पाबंदी

अधिकारियों ने बताया कि पांच अगस्त को घाटी में मोबाइल फोन और इंटरनेट समेत संचार पर लागू की गई पाबंदियां कई स्थानों पर हटा ली गई हैं लेकिन वे अब भी जारी हैं और निकट भविष्य में उन्हें हटाने की कोई योजना नहीं है। पूरी कश्मीर घाटी में लैंडलाइन सेवा बहाल की गई लेकिन इनमें नागरिक उपभोक्ताओं की संख्या 18,000 रही जबकि करीब 30,000 लैंडलाइन सरकारी, औद्योगिक प्रतिष्ठान, स्कूल, अस्पताल और होटलों में बहाल किए गए।

वहीं, जम्मू कश्मीर राज्यपाल के सलाहकार फारूक खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षाएं निर्धारित समय पर होंगी। परीक्षाएं आम तौर पर अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर की शुरुआत में होती हैं। कई जगहों पर दुकानदार पौ फटते ही दुकानें खोल रहे हैं और फिर सुबह करीब नौ बजे बंद कर रहे हैं। फिर वे शाम छह बजे दुकान खोलते हैं और रात 10 बजे तक बंद कर देते हैं।

इन पाबंदियों के कारण पर्यटन क्षेत्र को भी काफी नुकसान पहुंचा है। ज्यादातर होटल खाली है और टैक्सियां सड़कों से नदारद हैं। टैक्सी चालक शरीक अहमद ने कहा, ''पिछले साल पर्यटकों की संख्या को देखते हुए मैंने बैंक से कर्ज लेकर एक नयी टैक्सी खरीदी थी। आज मुझे बैंक को किस्त चुकानी है और मेरी कोई आय नहीं है।''

यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है....