सार
गैर भाजपा शासित 6 राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और झारखंड ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट(VAT) कम नहीं किया है, जिससे वहां पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ी हैं। यह कहा लोकसभा में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने।
नई दिल्ली. गैर भाजपा शासित 6 राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और झारखंड ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट(Value Added Tax-VAT) कम नहीं किया है, जिससे वहां पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ी हैं। यह कहना है केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी(Hardeep Singh Puri-Minister of Petroleum and Natural Gas of India) का। वे गुरुवार(15 दिसंबर को) लोकसभा में बोल रहे थे। पढ़िए मिनिस्टर ने और क्या कहा?
भारत में सबसे कम हैं पेट्रोल की कीमतें, पढ़िए 12 बड़े तर्क
1. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क घटाया है और कुछ राज्यों ने वैट कम दिया है।
2. विपक्षी सदस्यों के मुखर विरोध के बीच पुरी ने गैर भाजपा शासित राज्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि छह राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और झारखंड ने वैट को कम नहीं किया है।
3. मंत्री पुरी ने कहा कि वर्तमान में भारत में पेट्रोल की कीमत सबसे कम है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल(crude) की ऊंची कीमतों के कारण ऑयल मार्केटिंग कम्पनीज को मिलकर 27,276 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
4. पुरी ने कहा-मेरा सुझाव है कि विपक्ष के सांसद वैट को कम करने के लिए अपनी राज्य सरकारों पर दबाव डालें, ताकि वे भी इस सेलिब्रेशन में शामिल हो सकें। उनका मतलब पेट्रोल की कीमतें कम होने की खुशी से है।
5. पुरी ने कहा कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा आयात करता है। इसलिए देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी संबंधित कीमतों से जुड़ी हुई हैं।
6. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें(crude) कच्चे तेल की खरीद मूल्य, एक्सचेंज रेट, शिपिंग रेट, अंतर्देशीय भाड़ा(inland freight), रिफाइनरी मार्जिन, डीलर कमीशन, केंद्रीय कर, राज्य वैट और अन्य लागत तत्वों जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं।
7. पुरी ने बताया कि नवंबर 2020 और नवंबर 2022 के बीच कच्चे तेल की इंडियन बॉस्केट की औसत कीमत 102 प्रतिशत (43.34 अमेरिकी डॉलर से 87.55 अमेरिकी डॉलर) बढ़ी है। लेकिन इस टाइम पीरियड के दौरान भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में क्रमश: केवल 18.95 प्रतिशत और 26.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
8. मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल मार्केटिंग कंपनीज (OMCs) द्वारा रिकॉर्ड उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बावजूद 6 अप्रैल, 2022 से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि नहीं की गई है। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 28,360 करोड़ रुपये के कम्बाइंड 'प्रॉफिट बिफोर टैक्स-Profit Before Tax' के मुकाबले, तीन OMCs IOCL, BPCL और HPCL ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में 27,276 करोड़ रुपये का कम्बाइंड लॉस झेला। 2022-23, उन्होंने कहा।
9.पुरी ने कहा कि इंडियन कंज्यूमर्स को उच्च अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों(high international crude oil prices) के प्रभाव से बचाने के लिए, केंद्र सरकार ने 21 नवंबर, 2021 और 22 मई, 2022 को दो बार केंद्रीय उत्पाद शुल्क(central excise duty) घटाया, जिससे पेट्रोल और डीजल में क्रमश: 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की कुल कमी हुई। यह भार पूरी तरह से उपभोक्ताओं पर डाल दिया गया था।
10. पुरी ने बताया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में इन कटौती के बाद कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) की दरों में कमी की।
11. मंत्री ने कहा कि भारत अपनी घरेलू एलपीजी खपत का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। देश में एलपीजी की कीमत सऊदी अनुबंध मूल्य (Saudi Contract Price-SPC) पर आधारित है, जो एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमत के लिए बेंचमार्क है। सऊदी सीपी अप्रैल 2020 में 236 यूएसडी/एमटी से बढ़कर अप्रैल 2022 में 952 यूएसडी/एमटी हो गया और वर्तमान में ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। हालांकि, सरकार घरेलू एलपीजी के लिए उपभोक्ताओं के लिए प्रभावी मूल्य को संशोधित करना जारी रखे हुए है।
12. पुरी ने कहा- पब्लिक सेक्टर की ऑयल मार्केटिंग कंपनीज को घरेलू एलपीजी की बिक्री पर भारी नुकसान हुआ है और इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने हाल ही में ओएमसी को 22000 करोड़ रुपये के एकमुश्त मुआवजे को मंजूरी दी है। हालांकि मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और एनसीपी के सदस्य सदन से बहिर्गमन( walkout) कर गए।
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