सार
सोशल मीडिया पर जवान से जुड़ी जिस खबर पर जमकर चर्चा हो रही है, वो किसी सीमा पर बहादुरी दिखाने के लिए नहीं है। ये खबर समाज की उस बीमारी से जुड़ी है जिसकी वजह से देश के माता-पिताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
जयपुर. अभी तक जवानों के बारे में सीमा पर उनकी बहादुरी से जुड़ी खबरें आती रही हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर जवान से जुड़ी जिस खबर पर जमकर चर्चा हो रही है, वो किसी सीमा पर बहादुरी दिखाने के लिए नहीं है। ये खबर समाज की उस बीमारी से जुड़ी है जिसकी वजह से देश के माता-पिताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
कहानी जयपुर की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यहां हफ्ते अम्बा बारी इलाके में एक शादी थी। शादी बीएसएफ के जवान जितेंद्र सिंह की थी। जवान को दहेज में 11 लाख रुपए नकद दिया जा रहा था। मगर कुप्रथा के खिलाफ मिसाल कायम करते हुए जवान ने इसे लेने से मना कर दिया। जितेंद्र सिंह ने इसकी जगह सिर्फ एक नारियल और 11 रुपये नकद ही स्वीकार किए। जितेंद्र सिंह बीएसएफ में कॉन्स्टेबल हैं।
रो पड़े दुल्हन के पापा
दरअसल, बीएसएफ के कॉन्स्टेबल जितेंद्र सिंह को शादी में मिलने वाली नकदी की जानकारी नहीं थी। जब उन्हें यह बात पता चली तो वो अपने घरवालों पर नाराज हो गए। उधर, दूल्हे को नाराज देखकर दुल्हन चंचल शेखावत के माता-पिता परेशान हो गए। मगर, जब उन्होंने नाराजगी की असली वजह जाना तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
दुल्हन की पढ़ाई दहेज से ज्यादा कीमती
जितेंद्र सिंह ने इस बारे में कहा, ''मेरी पत्नी एलएलबी, एलएलएम के बाद पीएचडी कर रही है। मुझे लगा कि वह मेरे परिवार लिए एक सही लड़की है। इस लड़की से शादी के लिए मैंने दहेज नहीं लेने का मन बनाया था।" जितेंद्र ने कहा, मेरे पत्नी पढ़-लिखकर जो मुकाम बनाएगी वो मेरे और परिवार के लिए दहेज से ज्यादा कीमती होगा।
(फोटो : साभार टाइम्स ऑफ इंडिया)