सार
समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए क्या उनके पहनावे को जिम्मेदार ठहराना सही है? अगर इसका जवाब हां है तो क्या मासूम बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों को भी सही ठहराया जा सकता है? खैर, महिलाओं के पहनावे पर सवाल उठाना आम बात है. ऐसा ही कुछ हुआ AAP नेता सुरभि रेणुकम्बिके के साथ, जिनके फेसबुक पोस्ट पर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. आखिर उन्होंने ऐसा क्या लिख दिया? आइए जानते हैं.
सुरभि ने लिखा, 'कभी न कभी कोई न कोई 'आप cleavage show क्यों करती हैं? थोड़ा और कपड़ा पहनना चाहिए था, चेस्ट दिख रही है...' ऐसा करके inbox क्यों करता है?
गुरु, क्या आपको पता है महिलाओं के शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं? अगर एक हफ्ते तक लगातार ब्रा पहनी जाए तो हवा न लगने के कारण चेस्ट में दर्द और रैशेश हो जाते हैं, क्या आपकी माँ, बहन या गर्लफ्रेंड ने आपको ये सब नहीं बताया? अगर उन्होंने अपने शरीर से जुड़ी परेशानियां आपसे शेयर नहीं की तो खुद से सवाल पूछिए कि आपने उन्हें कितना सहज महसूस कराया है.
जो लोग कहते हैं कि आपके breast बड़े हैं, इस उम्र में भी आप सेक्सी लगती हैं, उनसे कहिए 'क्या मैं इन्हें काटकर घर में रख दूं? ये मेरा शरीर है गुरु... ये इसी साइज़ का होगा, इसी आकार का होगा... ऐसा ऑर्डर देकर क्या महिलाओं का शरीर कोई फर्नीचर बनवाया है?
वैसे भी आपके inbox में आने वाले इन घटिया मैसेज से तो हम सौ गुना बेहतर हैं गुरु... किसी के पीछे न पड़कर अपनी लाइफ जीना आपको इतना बुरा क्यों लगता है?
अरे ये seductive है, ऐसा दिखता है, वैसा दिखता है कहने वालों से बस यही कहूंगी...'अरे भाई... पुरुष एक अंडरवियर पहनकर पूरी दुनिया घूमते हैं... नहाने जाते हैं तो बिना कपड़ों के आराम से नहाते हैं, मंदिरों में घंटी बजाने के लिए कमर से नीचे धोती लपेटकर घूमते हैं. क्या ऐसा करने से वहां मौजूद महिलाएं seduce हो जाती हैं?
अगर कोई seduce होता है तो ये आपकी कमजोरी है गुरु. आपको खुद पर काम करना चाहिए, महिलाओं पर नहीं. किसी को भी देखकर seduce हो जाते हो तो खुद से सवाल करो कि आखिर तुम कितने घटिया किस्म के मर्द हो. इससे भी ज़्यादा तकलीफ हो रही है तो झटका मारकर मर जाओ, ये तुम्हारी किस्मत है... महिलाएं इसमें कुछ नहीं कर सकतीं.
हमारे शरीर को भी तो हवा, धूप लगनी चाहिए? दुनियाभर से लोग धूप का आनंद लेने हमारे देश आते हैं. ऐसे में हम अपने हिसाब से, अपने कम्फर्ट के हिसाब से कपड़े पहनें तो हमें तुम्हारी परमिशन क्यों लेनी चाहिए? अच्छा लगे तो देखो, बुरा लगे तो आँखें बंद कर लो... या फिर unfriend कर दो. ब्लॉक कर दो. इतने सारे ऑप्शन हैं. ये सब छोड़कर तुम कौन होते हो मुझे ये पहनने या न पहनने का हक़दार बताने वाले? क्या मैं तुम्हारे घर की नौकरानी हूँ?
महिलाओं के शरीर से जुड़ी परेशानियां अगर आपको समझ नहीं आती तो इसका मतलब है कि इतने सालों से इस समाज में चली आ रही कुप्रथाओं ने आपकी सोच को छोटा बना दिया है... हम क्या करें? आपके शरीर को ही तो हवा, पानी, रोशनी, धूप की ज़रूरत होती है. क्या महिलाओं को ये हक़, ये आज़ादी नहीं मिलनी चाहिए? तुम कौन होते हो ये तय करने वाले? कब तक चुप रहेंगे हम.