सार

Corona virus के चलते लोग अस्पताल या क्लीनिक तक जाने से कतराते रहे। लेकिन इस समस्या में 'रामबाण उपाय' बनकर सामने आई e Sanjeevani service, आप भी ले सकते हैं इसका फ्री में लाभ। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के जरिये सितंबर, 2020 में 160,807 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया था। वहीं, जुलाई 2021 में 1,650,822 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया।

नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी (e-Sanjeevani service) तेजी से लोगों में लोकप्रिय और सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा बन गई है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ने रिकॉर्ड समय में पूरे भारत में 1 करोड़ (यानी 10 मिलियन) से अधिक टेली-परामर्श दिया है। इस सेवा के इस्तेमाल में पिछले 10 महीनों में 1000% से अधिक की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के जरिये सितंबर, 2020 में 160,807 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया था। वहीं, जुलाई 2021 में 1,650,822 रोगियों को टेली-परामर्श दिया गया। यह इसकी वृद्धि की रफ्तार को बताता है।

अगर आप भी इस सेवा का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आप-Helpline Number:+91-11-23978046,Toll Free:1075, Helpline Email ID : ncov2019@gov.in पर संपर्क कर सकते हैं। या इसकी वेबसाइट esanjeevaniopd.in के जरिये जानकारी ले सकते हैं।

कोरोनाकाल में उपयोगी साबित हो रही ई-संजीवनी सेवा
जब देश में इंटरनेट की पहुंच 50% से कम है, तब भी यह अभिनव डिजिटल स्वास्थ्य पहल दूरी और समय सीमा के बंधन को खत्म करने और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सामान रूप से सामाज के हर वर्ग तक पहुंचाने में सक्षम है। कोरोना महामारी ने देश के स्वास्थ्य ढांचों पर अचानक से बड़ा बोझ डाला था ,जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। संकट के वक्त में ई-संजीवनी ने महामारी को नियंत्रित करने के अलावा लोगों को जरूरी स्वास्थ्य परामर्श पहुंचाने का काम किया है।

2018 में शुरू हुई थी यह सर्विस
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2018 में आयुष्मान भारत के कार्यान्वयन में मदद के लिए टेलीमेडिसिन के उपयोग की अवधारणा की थी, जो दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली स्वास्थ्य बीमा योजना है। फलस्वरूप, सरकार की प्रमुख टेलीमेडिसिन तकनीक, ई-संजीवनी को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) की मोहाली शाखा द्वारा विकसित किया गया। इसके बाद ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को 2019 में डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू किया गया था। कोविड-19 महामारी ने जब भारत में दस्तक दिया तो सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण सभी ओपीडी बंद हो गए। उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मार्च 2020 में भारत सरकार द्वारा टेलीमेडिसिन के जरिये इलाज मुहैया कराने के दिशानिर्देश जारी करने के साथ ई-संजीवनी का एक और संस्करण डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म शुरू किया। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सी-डैक मोहाली में ई-संजीवनी टीम के बीच मजबूत समन्वय के कारण, ई-संजीवनी ओपीडी को देश भर में तेजी से शुरू करने और स्वास्थ्य परामर्श देने का काम शुरू किया गया। 

13 अप्रैल, 2020 से घर-घर सर्विस
13 अप्रैल 2020 को ई-संजीवनी ओपीडी की सेवा को रोगियों के लिए उनके घरों पर ही देने की शुरुआत की गई। टेलीमेडिसिन पहल को सबसे पहले आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों ने शुरू किया। इसके बाद एक महीने से भी कम समय में देश के आधे से अधिक राज्यों ने ई-संजीवनी ओपीडी को अपनाया लिया और अपनी आबादी के लिए दूरस्थ परामर्श सेवाएं शुरू की। आम लोगों द्वारा तेजी से ई-संजीवनी ओपीडी को अपनाने को ध्यान में रखते हुए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य विभागों ने ई-संजीवनी ओपीडी की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कहा ताकि वे कई समवर्ती विशेषता और सुपर-स्पेशियलिटी ऑनलाइन ओपीडी शुरू कर सकें। प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान और एजेंसियां जैसे बठिंडा में एम्स, बीबीनगर, कल्याणी, बिलासपुर, ऋषिकेश, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (नई दिल्ली), सफदरजंग अस्पताल (नई दिल्ली), किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (लखनऊ केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), केरल में कैंसर अनुसंधान केंद्र आदि भी दूरस्थ रूप से अपनी विशेषता और सुपर-स्पेशियलिटी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

12 घंटे सेवा मिलती है
कई राज्य अपने यहां ई-संजीवनी ओपीडी के जरिये एक दिन में 12 घंटे और सप्ताह में 7 दिन स्वास्थ सेवा मुहैया कराने की तैयारी में लगे हुए हैं। ई-संजीवनी ओपीडी सेवाओं को वेब ब्राउजर के साथ-साथ एंड्रॉयड एप्लिकेशन के माध्यम से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका आईओएस एप्लिकेशन भी बहुत जल्द लॉन्च होने वाला है। ई-संजीवनी नेटवर्क वर्तमान में दैनिक आधार पर लगभग 75,000 रोगियों का उपचार कर रहा है। ई-संजीवनी के जरिये 439 ऑनलाइन ओपीडी चलाया जा रहा है, इनमें से 43 सामान्य ओपीडी हैं और 396 स्पेशलिटी और सुपर-स्पेशियलिटी ओपीडी हैं। 

यह भी जानें
ई-संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को लगभग 27,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में शुरू किया गया है। साथ ही राज्यों के 2200 से अधिक केंद्रो में इस सेवा को लागू किया गया है। 2022 के अंत तक, संजीवनीएबी-एचडब्ल्यूसी को राष्ट्रीय स्तर पर 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जाना है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा में 60,000 से अधिक विशेषज्ञ, डॉक्टर और नर्स शामिल हैं।

सरकार का लक्ष्य प्रति दिन 5 लाख टेलीकंसल्टेशन प्रदान करने की क्षमता को बढ़ावा देना है। मोहाली में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग की ई-संजीवनी टीम ने पहले ही प्लेटफॉर्म को बड़ा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

केंद्र सरकार ने 701 जिलों में जनता द्वारा ई-संजीवनी का उपयोग किया गया है। ई-संजीवनी सेवा का लाभ उठाने वाले 56% से अधिक रोगी महिलाएं हैं। ई-संजीवनी द्वारा स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराए जाने वाले 1 करोड़ रोगियों में से लगभग 0.5% 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के हैं। वहीं, लगभग 18% रोगी 20 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं।

इस सेवा का लाभ उठाने वाले टॉप 10 राज्य
इस सेवा का लाभ लेने वाले शीर्ष 10 जिले आंध्र प्रदेश में चित्तूर, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, नेल्लोर, पश्चिम गोदावरी, कृष्णा, प्रकाशम, अनंतपुर, कुरनूल और तमिलनाडु में सलेम हैं।

ई-संजीवनी सेवा और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफार्मों के माध्यम से उच्चतम परामर्श पंजीकरण करने वाले शीर्ष दस राज्य आंध्र प्रदेश (2751271), कर्नाटक (1939444), तमिलनाडु (1476227), उत्तर प्रदेश (1232627), गुजरात (416221), मध्य प्रदेश (369175) हैं। बिहार (343811), महाराष्ट्र (331737), केरल (237973) और उत्तराखंड (226436) हैं।