DRDO ने ATAGS नामक स्वदेशी मोबाइल आर्टिलरी गन सिस्टम विकसित किया, जो 48 किमी तक फायर कर सकता है। DAC ने 307 गन खरीदने को दी मंजूरी। जानें ATAGS की पूरी खासियत।

ATAGS India: भारत ने अपनी रक्षा ताकत में एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए स्वदेशी मोबाइल आर्टिलरी गन ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) का टेस्ट करने की तैयारी पूरी कर ली है। DRDO द्वारा विकसित यह गन राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर सियाचिन की बर्फीली चोटियों तक कहीं भी तैनात की जा सकेगी। यह भारत के डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करेगा।

ATAGS का स्पेशिफिकेशन और उससे जुड़ी 10 खास बातें:

  • 155 mm x 52 कैलिबर ATAGS का प्रोजेक्ट 2012 में DRDO की ARDE (Armament Research and Development Establishment) को सौंपा गया था।
  • ATAGS को लंबी रेंज, सटीकता, बेहतर ऑपरेशनल कंसिस्टेंसी और हर मौसम व हर इलाके में तैनाती योग्य बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • यह इन-सर्विस गोला-बारूद को फायर करने में सक्षम है और भारतीय सेना के आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCCS) से आसानी से जुड़ सकता है।
  • ATAGS के दो बड़े हिस्से हैं, पहला अपर कैरेज और दूसरा अंडरकैरेज। अपर कैरेज में गन बैरल, ब्रीच, म्यूज़ल ब्रेक, रिकॉइल सिस्टम, क्रैडल और एम्युनिशन हैंडलिंग सिस्टम शामिल हैं। जबकि अंडरकैरेज में स्ट्रक्चरल और ऑटोमोटिव सिस्टम होते हैं।
  • यह पूरी तरह ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव से लैस है, जिससे ले-ऑफ, लोडिंग, रैमिंग और गन की तैनाती अपने आप हो जाती है और मेंटेनेंस की जरूरत नहीं रहती।
  • ATAGS में सेल्फ-प्रोपल्शन के लिए APU (Auxiliary Power Unit) लगाया गया है, जिससे इसकी मोबिलिटी और डिप्लॉयमेंट क्षमता काफी बढ़ जाती है।
  • यह डायरेक्ट और इनडायरेक्ट फायर दोनों मोड में टारगेट हिट कर सकती है। डायरेक्ट फायर मोड में ऑप्ट्रॉनिक साइट की मदद से 1.5 किमी दूर तक लक्ष्य को मार सकती है।
  • रिकॉइल सिस्टम की मजबूती के लिए 100 से ज्यादा कंटीन्यूअस रिकॉइल और रन आउट साइकिल किए गए। इसके लिए खास स्टैटिक और हाइड्रोलिक टेस्ट बेंच पर टेस्टिंग हुई।
  • यह गन 2.5 मिनट में 10 हाई-एक्सप्लोसिव शेल फायर कर सकती है और बर्स्ट फायर मोड में 60 सेकंड में 5 राउंड फायर करती है। यह 48 किमी तक गोले दागने में सक्षम हैं।
  • डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने ATAGS के 307 यूनिट खरीदने को स्वीकृति (Acceptance of Necessity) दे दी है। इसे पहली बार 26 जनवरी 2017 को गणतंत्र दिवस परेड में दिखाया गया था।