सार
दिल्ली में वायु प्रदूषण(Delhi air pollution) को लेकर दो दिनों तक कोई अच्छे की उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग(IMD) के अनुसार, हवा की स्पीड कम होने से अगले 2 दिनों तक वायु की गुणवत्ता में कोई सुधार की गुंजाइश नहीं है। इस बीच दिल्ली में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ओवरऑल 319 दर्ज किया गया गया, जबकि नोएडा में यही 325 है। ये खराब श्रेणी में आता है।
दिल्ली. दिल्ली ही नहीं; देश के कई शहर वायु प्रदूषण((air pollution)) से परेशान हैं। Delhi-NCR को तो दिवाली से अब तक वायु प्रदूषण(Air Pollution) से मुक्ति नहीं मिल पाई है। मौसम विभाग(IMD) के अनुसार, हवा की स्पीड कम होने से अगले 2 दिनों तक वायु की गुणवत्ता में कोई सुधार की गुंजाइश नहीं है। वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान व अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक दिल्ली में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ओवरऑल 319 दर्ज किया गया गया, जबकि नोएडा में यही 325 है। ये खराब श्रेणी में आता है।
बारिश के बाद हवा में सुधार की उम्मीद
IMD के अनुसार, दिल्ली में 9 फरवरी को बारिश की उम्मीद है। इसे हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। IMD का पूर्वानुमान है कि पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता की वजह से अगले 24 घंटे में जम्मू, लद्दाख, हिमाचल व पंजाब में बारिश होने की संभावना हो सकती है। वहीं, आगामी 9 फरवरी को दिल्ली-NCR में बारिश के आसार हैं।
जनवरी से थोड़ी राहत मिलना शुरू
आमतौर पर नवंबर के बाद जनवरी दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषण होता है। हालांकि इस बार भी तेज हवाओं और वीकेंड कर्फ्यू जनवरी में थोड़ी राहत दी। फरवरी में भी नवंबर और दिसंबर की तुलना में वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। AQI सिस्टम आने के बाद पहली बार जनवरी के 11 दिन प्रदूषण के मामले में राहतभरे रहे थे। चूंकि फरवरी में मौसम में बदलाव आने लगता है, इसलिए भी प्रदूषण से और राहत मिल सकती है।
क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स
वायु प्रदूषण का मतलब हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य गैसों व धूलकणों के विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक होना है। वायु प्रदूषण के सूचकांक को संख्या में बदलकर एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया जाता है। इससे पता चलता है कि हवा कितनी शुद्ध या खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के छह कैटेगरी हैं।
अच्छा (0–50)- इसका मतलब है कि हवा साफ है। इससे सेहत पर खराब असर नहीं पड़ेगा।
संतोषजनक (51–100)- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत हो सकती है।
मध्यम प्रदूषित (101–200)- अस्थमा जैसे फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो सकती है।
खराब (201–300)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
बहुत खराब (301–400)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों में सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
गंभीर रूप से खराब (401-500) - स्वस्थ लोगों में भी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।