सार

बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरूण जेटली का निधन 66 साल की उम्र में हो गया है। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांसे ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने साल 2018 में अपना किडनी ट्रांसप्लांट कराया था। जिसके बाद से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। छात्र नेता के तौर पर उभरे अरूण जेटली का राजनीतिक सफर देश के वित्तमंत्री बनने तक रहा।

नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का शनिवार दोपहर निधन हो गया। वे 66 साल के थे। 9 अगस्त को एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। उन्हें कमजोरी और घबराहट की शिकायत के बाद भर्ती करवाया गया था। उन्होंने साल 2018 में अपना किडनी ट्रांसप्लांट कराया था। जिसके बाद से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। छात्र नेता के तौर पर उभरे अरूण जेटली का राजनीतिक सफर देश के वित्तमंत्री बनने तक रहा। उन्होंने स्वास्थ्य के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इस दौरान हम उनकी लाइफ से जुड़े कुछ फैक्ट्स बता रहे हैं... 

छात्र नेता से हुआ था सफर शुरू

अरुण जेटली का राजनीतिक सफर छात्र रहते ही शुरू हो गया था। इमरजेंसी के दौरान साल 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में विद्यार्थियों और युवा संगठनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण ने अधिक से अधिक छात्रों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारीणी बनाई थी। इसमें जेपी ने जेटली को समिति का राष्ट्रीय संयोजक बनाया था। इस दौरान जेटली को 19 महीने जेल में बिताना पड़े थे। साल 1974 को अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। 

मीसा एक्ट के तहत जेल में रहे थे
1975 और 77 में देश में आपातकाल के दौरान जेटली को मीसा एक्ट के तहत 19 महीनें नजरबंद रहना पड़ा था। जिसके बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए।

अटल बिहारी ने किया कैबिनेट में शामिल

राष्ट्रीय स्तर पर अरूण जेटली को उस समय पहचान मिली जब उन्हें बीजेपी की राष्ट्र कार्याकारिणी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। इसके बाद वह लंबे समय तक बीजेपी के प्रवक्ता रहे। 1999 में एनडीए की केंद्र में सरकार बनी। तब तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया।  उन्हें सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा दिया गया।  23 जुलाई 2000 को राम जेठमलानी ने अटल कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों की जिम्मेदारी सौंपी। 2006 में वे पहली बार राज्यसभा सांसद बने। 2009 में राज्यसभा के विपक्ष के नेता चुने गए। 

मोदी सरकार में रहे वित्तमंत्री
2014 लोकसभा चुनावों में उनको अमृतसर लोकसभा सीट चुनाव लड़े और हार गए।  हालांकि पीएम मोदी उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे। उन्होंने अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी। जिसके बाद उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया। नोटबंदी और जीएसटी में  उन्होंने अहम भूमिका निभाई। 

बेफोर्स की जांच जेटली ने ही की थी पूरी
आपातकाल के बाद अरुण जेटली वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। उन्होंने देश के कई हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस पूरी की। 1990 में सुप्रीम कोर्ट के वकील नियुक्त हुए। इस पद पर पहुंचने से पहले ही उन्हें साल 1989 में बीपी सिंह ने सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया। बोफोर्स घोटाले से जुड़ी जांच की जरूरी कागजी कार्रवाई जेटली ने ही पूरी की थी।