सार
नागरिकता कानून को लेकर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि अब मामला एनपीआर (नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) का आ गया है। मोदी कैबिनेट एनपीआर को लेकर आज मंजूरी दे सकती है।
नई दिल्ली. नागरिकता कानून को लेकर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि अब मामला एनपीआर (नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) का आ गया है। मोदी कैबिनेट एनपीआर को लेकर आज मंजूरी दे सकती है। एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि एनपीआर के जरिए गुप्त रूप से एनआरसी लागू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, आखिर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह में से कौन झूठ बोल रहा है। उन्होंने सवाल किया कि पीएम देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं।
ओवैसी ने क्या कहा?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, भाजपा सरकार एनपीआर के जरिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का काम पहले ही शुरू कर चुकी है। खुद को गलत साबित करने की भाजपा को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि निचले स्तर का कोई भी अधिकारी एनपीआर में गलती कर सकता है और यह गलती एनआरसी में भी रहेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि वह इस पर स्थिति स्पष्ट करें।
क्या है एनपीआर?
एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है। नाम से ही जाहिर है कि इसमें पॉपुलेशन को लेकर रिकॉर्ड बनाए जाएंगे। एनपीआर के तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देश में घर-घर जाकर जनगणना की जाएगी। एनपीआर में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी।