सार

असम में ड्रग्स की एक बड़ी खेप पकड़ी गई है। गुवाहाटी शहर की पुलिस ने मंगलवार रात एक एंबुलेंस से 50,000 याबा टैबलेट और 14 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 200 ग्राम हेरोइन सहित बड़ी संख्या में वर्जित दवाएं जब्त की है।

गुवाहाटी(Guwahati). असम में ड्रग्स की एक बड़ी खेप पकड़ी गई है। गुवाहाटी शहर की पुलिस ने मंगलवार रात एक एंबुलेंस से 50,000 याबा टैबलेट और 14 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 200 ग्राम हेरोइन सहित बड़ी संख्या में वर्जित दवाएं जब्त की है। ज्वाइंट कमिश्नर आफ पुलिस पार्थ सारथी महंत इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। 

असम में 7.5 लाख ड्रग एडिक्ट्स
एक रिपोर्ट के अनुसार असम में लगभग 7.5 लाख ड्रग उपयोगकर्ता(drug users) हैं। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) द्वारा पब्लिश एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि असम में ड्रग्स का उपयोग करने वालों की संख्या लगभग 2.21 प्रतिशत है। राज्य की कुल आबादी के यानी लगभग 7.5 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं। दूसरी ओर, असम पुलिस का अनुमान है कि राज्य में लगभग तीन लाख ड्रग उपयोगकर्ता हैं।

म्यांमार बना ड्रग्स स्मगलिंग का बड़ा गढ़
म्यांमार यानी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार से विभिन्न अवैध नशीले पदार्थों की बेरोकटोक तस्करी के कारण असम हाल के दिनों में मादक पदार्थों के सेवन करने वालों का अड्डा बन गया है। नशीले पदार्थ मुख्य रूप से दो पड़ोसी राज्यों मिजोरम और मणिपुर के माध्यम से असम में आते हैं। नशीले पदार्थों का एक हिस्सा अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ कई निकास बिंदुओं(exit points) के जरिये बांग्लादेश में तस्करी कर लाया जाता है। हेरोइन और ब्राउन शुगर के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ड्रग कार्टेल(drug cartels) यानी ड्रग्स माफिया भी उन्हीं मार्गों का उपयोग करते हैं।

पिछले साल पूरे असम में 655.4 करोड़ रुपये मूल्य के ड्रग्स और नशीले पदार्थ जब्त किए गए और 4,750 लोगों को ड्रग्स से संबंधित मामलों में गिरफ्तार किया गया। जब्त किए गए पदार्थों में 98.65 किलोग्राम हेरोइन, 32,293.71 किलोग्राम गांजा, 187.05 किलोग्राम अफीम, 2,68,104 खांसी की दवाई की बोतलें, 48,41,842 प्रतिबंधित कैप्सूल, 4.91 किलोग्राम मॉर्फिन, 14.7 किलोग्राम क्रिस्टल मेथामफेटामाइन, 0.31 किलोग्राम कोकीन और 213.94 किलोग्राम गांजा शामिल हैं।

आखिर क्या है ये याबा?
भारत में भूल-भुलैया कही जाने वाली इस ड्रग्स का गढ़ म्यांमार है। यह कई देशों में बैन है। याबा एक लाल रंग की ड्रग्स होती है। इसे WY भी कहते हैं। इसका एक नाम पागलपन की दवा(madness drug) भी कहा जाता है। इस ड्रग्स को म्यांमार में बनाया जाता है। फिर इसे भारत के अलावा लाओस, थाइलैंड के अलावा दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश आदि भेज दिया जाता है। आमतौर पर यह दवा पहाड़ी घोड़ों की दी जाती है, ताकि वे उन्माद में बिना रुके पहाड़ चढ़ते जाएं। यानी उन्हें होश ही न रहे। म्यांमार में 20 ग्राम से अधिक याबा मिलने पर उम्रकैद या मौत की सजा तक दी जाती है।

याबा कई उत्तेजक दवाओं को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसमें मुख्य पदार्थ कैफीन और मेथेम्फेटामाइन हैं। इसे क्रिस्टल मेथ के रूप में भी जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिकों को सोने नहीं देने के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता था। वजन घटाने के पूरक के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। थाइलैंड में इसका सबसे अधिक उपयोग होता है, जबकि म्यांमार इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। 

आतंकवादियों की फंडिंग का एक मुख्य जरिया
ड्रग्स तस्करी के जरिये आतंकवादी अपने लिए फंडिंग जुटाते हैं। असम राइफल्स भी सीमा पार से नार्को-आतंकवाद और म्यांमार से निकलने वाले उग्रवाद का मुकाबला करने में सबसे आगे हैं। सूत्रों के अनुसार यह नार्को-आतंकवाद म्यांमार में स्थित भारतीय आतंकवादी समूहों के लिए वित्त का एक प्रमुख स्रोत है। यहां के जरिये भारत के युवाओं में विशेष रूप से उत्तर पूर्व क्षेत्र में ड्रग्स सप्लाई की जाती है। असम राइफल्स ने कहा कि आतंकवादियों और नार्को-आतंकवाद से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन और पुलिस के साथ निकट समन्वय में व्यापक अभियान चलाना जारी रखेगी।

यह तस्वीर आंध्र प्रदेश की है। यहां पुलिस कर्मियों ने एलुरु जिले के पोलासनीपल्ली हाईवे पर वाहनों की चेकिंग के दौरान एक कार से 10 लाख रुपये मूल्य का 140 किलोग्राम गांजा जब्त किया। एलुरु के एसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। 

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