सुप्रीम कोर्ट शनिवार को अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट लगातार 40 दिन में 172 घंटे सुनवाई हुई। अयोध्या में मुस्लिम शासक बाबर ने 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर भगवान राम जन्मे थे।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट शनिवार को सुबह 10.30 बजे अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट लगातार 40 दिन में 172 घंटे सुनवाई हुई। अयोध्या में मुस्लिम शासक बाबर ने 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर भगवान राम जन्मे थे। इस स्थान पर पहली बार 1813 में हिंदू-मुस्लिम विवाद तब हुआ, जब हिंदू संगठनों ने दावा किया कि यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1885 में पहली बार ये मुद्दा अदालत पहुंचा। अब 134 साल बाद दोनों पक्षों को उम्मीद जगी है कि इस मामले में फैसला आ जाएगा। 

1813 में पहली बार हुआ विवाद
1528:
बाबर ने यहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान राम जन्मे थे। 
1813: हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। इस दिन ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई थी।
1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी कर दी। अंदरूनी और बाहरी परिसर में मुस्लिमों-हिंदुओं को अलग-अलग पूजा-इबादत करने की इजाजत दी। 
1885: ये मामला पहली बार अदालत पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की।

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30 सितंबर 2010:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटा गया, जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया।
9 मई 2011: इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।

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8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। समिति ने 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी।

6 अगस्त : मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट ने लगातार सुनवाई की और इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।