VHP Protest Delhi: बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की कथित ईशनिंदा के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या ने दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर उग्र प्रदर्शन को जन्म दिया। हिंसा, राजनयिक तनाव और अल्पसंख्यक सुरक्षा पर सवाल गहराए।

Bangladesh Lynching Protest Delhi: बांग्लादेश लिंचिंग, हिंदू युवक हत्या और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा अब सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहा। बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग के बाद इसका असर भारत की राजधानी दिल्ली तक देखने को मिला। मंगलवार को दिल्ली स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि स्थिति हिंसक हो गई। पुलिस बैरिकेड टूटे, सुरक्षा बलों से झड़प हुई और इलाके में तनाव का माहौल बन गया।

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आखिर दीपू चंद्र दास की हत्या ने इतना बड़ा विरोध क्यों खड़ा कर दिया?

27 वर्षीय दीपू चंद्र दास की बांग्लादेश के मैमनसिंह इलाके में कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं, 18 दिसंबर को हत्या के बाद उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना ने न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर क्या हुआ?

इस घटना के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी न्याय की मांग करते हुए हाई कमीशन की ओर मार्च करने लगे। स्थिति तब बिगड़ गई जब भीड़ ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को धक्का दिया और कुछ बैरिकेड टूट गए। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने कई सुरक्षा घेरे बनाकर प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोका। कुछ समय के लिए माहौल तनावपूर्ण हो गया और ट्रैफिक भी प्रभावित हुआ।

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प्रदर्शन में कौन-कौन से संगठन शामिल थे?

इस विरोध प्रदर्शन में VHP, बजरंग दल और सर्व भारतीय हिंदी बंगाली संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे। प्रदर्शन दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैंपस मेट्रो स्टेशन के पास शुरू हुआ। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा, अल्पसंख्यक अधिकार और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

नारे और भावनात्मक बयान क्यों चर्चा में हैं?

प्रदर्शन के दौरान “भारत माता की जय”, “यूनुस सरकार होश में आओ” और “हिंदू हत्या बंद करो” जैसे नारे लगाए गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने भावनात्मक बयान देते हुए कहा कि हिंदू खतरे में हैं और बांग्लादेश में लगातार अत्याचार हो रहे हैं। इन नारों और बयानों ने विरोध को और संवेदनशील बना दिया।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं क्या रहीं?

इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेता आशुतोष चटर्जी ने कहा कि यह मानवता पर हमला है और इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने विदेश मंत्री से इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की अपील की।

बांग्लादेश सरकार ने क्या कदम उठाए?

बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश ने नई दिल्ली और अगरतला में कांसुलर और वीज़ा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दीं। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत में अपने राजनयिक मिशनों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया।

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भारत सरकार का क्या कहना है?

भारत ने बांग्लादेश द्वारा लगाए गए अपर्याप्त सुरक्षा के आरोपों को खारिज किया। भारतीय पक्ष ने कहा कि प्रदर्शन संक्षिप्त था और किसी भी तरह का गंभीर सुरक्षा खतरा नहीं था। भारत ने इसे लेकर कुछ बांग्लादेशी मीडिया में चल रहे “भ्रामक प्रचार” को भी गलत बताया।

आगे क्या असर पड़ सकता है?

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने दोनों देशों के रिश्तों को संवेदनशील मोड़ पर ला खड़ा किया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनयिक, राजनीतिक और मानवाधिकार स्तर पर और चर्चा में रह सकता है।