भारतीय सेना चीन-पाकिस्तान बार्डर पर तत्काल एक्शन के लिए 'भैरव लाइट कमांडो' तैनात कर रही है। ये यूनिट्स इन्फ्रेंट्री बटालियनों से ही लिए गए हैं, जो मॉर्डन वेपंस और ड्रोन से लैस हैं। इनका मकसद दुश्मन को चौंकने वाले ऑपरेशन को अंजाम देना है।
Bhairav Light Commondos: भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर तत्काल एक्शन के लिए 'भैरव लाइट कमांडो' बटालियन तैनात करने जा रही है। सेना की इन्फेंट्री विंग के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के मुताबिक, "पांच भैरव बटालियन अब पूरी तरह से कार्यरत हैं। चार और बटालियनों का गठन किया जा रहा है और बाकी 16 अगले छह महीनों के भीतर करने को तैयार हो जाएंगी।"
भैरव लाइट कमांडो का क्या है उद्देश्य?
इन स्पेशल यूनिट का उद्देश्य पारंपरिक पैदल सेना और विशेष बलों के बीच क्षमता के अंतर को पाटना है। शौर्य दिवस समारोह से पहले जनरल अजय कुमार ने कहा, ये बटालियनें चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाओं पर तेज, हाई इम्पैक्ट ऑपरेशंस के लिए बनाई गई हैं। बता दें कि शौर्य दिवस 27 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर के बडगाम हवाई अड्डे पर 1947 में हुए हवाई अभियानों की याद में मनाया जाता है।
नार्दर्न कमांड में शामिल हुईं 3 यूनिट
उत्तरी कमान में तीन यूनिट शामिल हुई हैं। लेह में 14 कोर, श्रीनगर में 15 कोर और नगरोटा में 16 कोर की एक-एक यूनिट है। बाकी दो बटालियनों को क्रमशः पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर रेगिस्तानी और पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात किया गया है। ये यूनिट्स क्रॉस-बॉर्डर ऑपरेशंस, टोही और विध्वंसक अभियानों के लिए हैं।
हर एक भैरव यूनिट में 250 कमांडो
घातक प्लाटूनों यानी पैदल सेना यूनिट्स के भीतर विशिष्ट आक्रमण दल के भविष्य के बारे में पूछने पर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने साफ किया कि वे सर्विस में बने रहेंगे। सेना के संचालन सिद्धांत में घातक प्लाटून और भैरव यूनिट के स्पेशल रोल पर जोर देते हुए अजय कुमार ने बताया कि घातक प्लाटून में लगभग 20 कमांडो होते हैं, जबकि हर एक भैरव यूनिट में 250 कमांडो होते हैं। पारंपरिक पैदल सेना बटालियनों के विपरीत, भैरव यूनिट्स एक तरह से इंटीग्रेटेड फॉर्मेशंस हैं, जिनमें एयर डिफेंस, आर्टिलरी और सिग्नल जैसे हथियारों से सैनिक आते हैं। इस स्पेशल यूनिट में एयर डिफेंस से 5, आर्टिलरी से 4 और सिग्नल से 2 सैनिक शामिल किए गए हैं।
ड्रोन अभियानों के लिए 380 ASHNI प्लाटून
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने ऐलान किया कि भारतीय सेना ने ड्रोन अभियानों के लिए 380 डेडिकेटेड ASHNI प्लाटूंस तैयार की हैं, जिनका पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश में आयोजित युद्ध कौशल 3.0 अभ्यास के दौरान ऑपरेशनल डेब्यू हुआ। ये स्पेशल प्लाटून विभिन्न प्रकार के ड्रोनों से लैस हैं, जिनमें इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टोही (आईएसआर) और घूमने वाले हथियारों के लिए प्लेटफॉर्म शामिल हैं। एक्सरसाइज के दौरान ASHNI प्लाटूनों ने दिखाया कि अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक, जब कॉम्बैट प्रूवन टैक्टिक्स के साथ मिलकर काम करती है तो कैसे वर्तमान और भविष्य के युद्धों में निर्णायक फायदे दे सकती है। भारतीय सेना वर्तमान में 380 इन्फ्रेंट्री यूनिट्स का संचालन करती है, जिसमें पैरा और पैरा एसएफ बटालियन जैसी यूनिट्स शामिल नहीं हैं।
भैरव लाइट कमांडो क्या हैं?
भैरव लाइट कमांडो, भारतीय सेना की एक नई स्पेशल फोर्स यूनिट है, जिसे सीमा पर दुश्मन के खिलाफ तत्काल और हाई इफेक्टिव अटैक के लिए बनाया गया है। ये कमांडो, मौजूदा इन्फ्रेंट्री बटालियनों से ही लिए गए हैं, जो अत्याधुनिक हथियारों और ड्रोन से लैस हैं और उनका मकसद दुश्मन की सप्लाई लाइनों को बाधित करना और चौंकने वाले ऑपरेशन को अंजाम देना है। शुरुआती चरण में, पांच भैरव लाइट कमांडो बटालियनों का गठन किया जा रहा है, जिन्हें पाकिस्तान और चीन के साथ सटी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा।
