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बाइक को ट्रेन से पार्सल कैसे करें? चार्ज और बुकिंग की कंप्लीट जानकारी

काम या अन्य कारणों से दूसरे शहर जाते समय, लंबी दूरी के लिए बाइक का परिवहन एक समस्या बन सकता है। ट्रेन से बाइक भेजना एक सुरक्षित और लोकप्रिय विकल्प है, लेकिन इसमें कुछ ज़रूरी कदम उठाने पड़ते हैं।

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Asianetnews Hindi Stories
Published : Sep 06 2024, 11:43 AM IST
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काम के सिलसिले में बाहर जाना

काम के सिलसिले में बहुत से लोग दूसरे शहरों में जाते हैं। तमिलनाडु के अंदर ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी जाना पड़ता है। ऐसे में अपने शहर की दोपहिया वाहन को कैसे ले जाएं, 500 से 1000 किलोमीटर से ज़्यादा का सफ़र बाइक से करना संभव नहीं है। इसलिए लोग ढूंढते हैं कि इसे कैसे ले जाया जाए, इसका क्या तरीका है।

इसमें लॉरी से पार्सल भेजना, बस से पार्सल भेजना और ट्रेन से पार्सल भेजना शामिल है। इसमें ज़्यादातर लोग अपनी गाड़ी को बिना किसी नुकसान के पहुँचाने के लिए ट्रेन से भेजना पसंद करते हैं। 

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ट्रेन से बाइक को पार्सल कैसे करें

लॉरी से भेजने पर बाइक के ऊपर दूसरा सामान रख दिया जाता है, जिससे गाड़ी को नुकसान पहुँच सकता है। इसीलिए ज़्यादातर लोग ट्रेन से दोपहिया वाहन भेजना पसंद करते हैं। तो आइए देखते हैं कि बाइक को कैसे भेजा जाए।   ट्रेन से बाइक भेजने के दो तरीके हैं।

पहला, यहां से बाइक भेजें और दूसरे जगह हमारे रिश्तेदार या दोस्त उसे रिसीव कर लें। दूसरा, हम जिस ट्रेन से सफ़र कर रहे हैं, उसी में बाइक को भी ले जाएं। ट्रेन स्टेशन पर उतरते ही वाहन मालिक खुद बाइक रिसीव कर लेता है।

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किस रेलवे स्टेशन पर भेजें

सबसे पहले तय करें कि बाइक किस शहर भेजनी है, छोटे रेलवे स्टेशन पर दोपहिया वाहन पार्सल करना संभव नहीं है, इसलिए नज़दीकी बड़े रेलवे स्टेशन का चुनाव करें। छोटे स्टेशन पर ट्रेनें ज़्यादा देर नहीं रुकतीं। इसलिए बड़े रेलवे स्टेशन पर पार्सल उतारने वाले लोग होते हैं। इसलिए पहले उसका चुनाव करना चाहिए,

कई बार बाइक अंदर होती है। बाहर दूसरा सामान उतारने के बाद उसे आराम से रख दिया जाता है। इस बीच  बाइक को ट्रेन से पार्सल करने के बारे में शुरुआती जानकारी के लिए रेलवे स्टेशन के अधिकारियों से पूछताछ कर सकते हैं। कुछ जगहों पर पार्सल करने का तरीका अलग होता है। खास तौर पर बाइक के नंबर प्लेट पर गाड़ी का नंबर लिखा जाता है। कहीं-कहीं कार्ड पर लिखकर टांग दिया जाता है।

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पेट्रोल होने पर जुर्माना

अगर हमें जिस ट्रेन से जाना है, उसी में गाड़ी ले जानी है, तो पहले से बुकिंग करा लेना बेहतर है। साथ ही, ट्रेन में ले जाने से 3 घंटे पहले रेलवे स्टेशन पहुंचें। वहां पहुंचकर गाड़ी का सारा पेट्रोल निकाल दें। गाड़ी में पेट्रोल हुआ तो उसे चढ़ाएंगे नहीं। एक हज़ार रुपये जुर्माना भी लग सकता है।

इसलिए रेलवे स्टेशन पहुंचते ही पेट्रोल पाइप से पूरा पेट्रोल निकाल दें। रेलवे स्टेशन पर पार्सल बुकिंग करने वाले अधिकारी से मिलकर पार्सल के बारे में जानकारी लें। वे आपको एक फॉर्म देंगे। उसमें बाइक नंबर, आरसी बुक नंबर, कहाँ भेजना है, रिसीवर का नाम आदि लिखें। साथ ही, आधार कार्ड और आरसी बुक की कॉपी भी दें। इसके बाद दूरी के हिसाब से पैसे लिए जाएंगे।

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कितने पैसे लगते हैं?

उदाहरण के लिए, चेन्नई से नेल्लई जाने के लिए 1700 रुपये और कराईकुडी से चेन्नई के लिए 250 रुपये तक लिए जाते हैं। पैसे देने के बाद, गाड़ी के शीशे, लाइट और सीट कवर को सफेद बोरी से ढकना होता है। आप चाहें तो खुद भी ढक सकते हैं।

नहीं तो रेलवे स्टेशन पर ही गाड़ी को सुरक्षित ढंग से पैक करने वाले लोग होते हैं। वे साधारण पैकिंग के लिए 400 रुपये और अच्छी पैकिंग के लिए 500 रुपये लेते हैं। इसके बाद सफेद बोरी पर गाड़ी का नंबर और ट्रेन में रजिस्टर किया गया नंबर लिख देते हैं। आखिर में रेलवे पुलिस गाड़ी की जाँच करती है कि उसमें पेट्रोल तो नहीं है। इसके बाद उसे हमारी ट्रेन में भेज दिया जाता है। 

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आरसी बुक ज़रूरी

अगर हमें जिस ट्रेन से जाना है, उसी में गाड़ी नहीं भेजनी है, तो उसे अगले दिनों में भेजा जाएगा। अगर हमारी वाली ट्रेन में ही गाड़ी भेजी जाती है, तो हमारे उतरने पर ही गाड़ी भी उतार दी जाएगी। आखिरी स्टेशन पर दूसरे सामान के साथ हमारी गाड़ी भी उतारी जाएगी। इसलिए ट्रेन से उतरते ही गाड़ी नहीं मिल पाती।

गाड़ी को पार्सल ऑफिस ले जाया जाता है। वहाँ अधिकारी को पार्सल बुकिंग की रसीद दिखानी होती है। तब जाकर वे बाइक हमें सौंपते हैं। इसके बाद बिना पेट्रोल वाली गाड़ी को पेट्रोल पंप ले जाकर पेट्रोल भरवाएँ और घर ले आएँ।

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क्या इंश्योरेंस ज़रूरी है?

आमतौर पर ट्रेन से बाइक पार्सल करने के पैसे ज़्यादा होते हैं। दूसरे पार्सल के मुकाबले बाइक ले जाने का लगेज चार्ज ज़्यादा होता है। 500 किलोमीटर तक बाइक भेजने का औसत चार्ज लगभग 1200 रुपये होता है। लंबी दूरी के लिए ट्रेन से बाइक पार्सल करना सही रहता है। कम दूरी के लिए पार्सल भेजना महँगा पड़ता है,

प्रक्रिया भी थोड़ी लंबी होती है। खास बात यह है कि ट्रेन में बाइक या स्कूटर के आरसी और इंश्योरेंस के बिना गाड़ी भेजना मुश्किल होता है, इंश्योरेंस भले ही न हो, लेकिन आरसी बुक होना ज़रूरी है। पार्सल बुक करने के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच नज़दीकी रेलवे स्टेशन जाएँ और बुकिंग कराएँ।

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AH
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