सार

BJP अपनी 42 साल का सफर पूरा करने के साथ स्थापना दिवस मना रही है। बीजेपी को इस मुकाम तक पहुंचने में अनगिनत नेताओं और कार्यकर्ताओं का योगदान है। आज बात करेंगे उन 14 नेताओं की जिन्होंने भाजपा को शीर्ष तक पहुंचाने में योगदान दिया। 

नई दिल्ली। बीजेपी एक नए दौर में पहुंच चुकी है। दो सांसदों वाली यह पार्टी आज देश की सबसे बड़ी और दो लोकसभा चुनाव से अजेय पार्टी बनकर उभरी है। दशकों के संघर्ष के बाद भारतीय जनता पार्टी अपने शीर्ष पर है। हालांकि, जनसंघ को छोड़ दें तो नई बनी बीजेपी का सफर अभी केवल 42 साल का ही है। लेकिन जनसंघ से शुरू यात्रा ने ही बीजेपी रूपी विशाल बरगद को सींचा है। छह अप्रैल, स्थापना दिवस के अवसर पर बात करते हैं उन चेहरों की जिनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय: जनसंघ से लेकर बीजेपी तक की यात्रा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एक अहम योगदान रहा है। जनसंघ के इनके द्वारा तैयार किए गए कैडर ने ही बीजेपी को सींचने का काम किया। अंत्योदय की बात करने वाले दीनदयाल उपाध्याय, बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत हैं। जनसंघ के संस्थापक संगठन मंत्री के रूप में काम कर चुके दीनदयाल उपाध्याय को 1951 में पार्टी के पहले 'अखिल भारतीय सम्मेलन' की अध्यक्षता का गौरव प्राप्त था। हालांकि, दीनदयाल उपाध्याय, 1968 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए। चुनावी राजनीति में व्यक्तिगत तौर पर दीनदयाल उपाध्याय कभी सफल नहीं रहे। दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु भी रहस्यमय परिस्थितियों में हो गई थी। 


 

डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी: जनसंघ के संस्थापक डॉ.मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर पर काफी काम किया। जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए वह धारा 370 को खत्म करने के पक्षधर रहे। एक देश-एक निशान-एक संविधान का नारा देने वाले डॉ.मुखर्जी 1953 में बिना इजाजत के जम्मू-कश्मीर गए जहां उनको गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, जून 1953 में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। 

नानाजी देशमुख: जनसंघ को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नानाजी देशमुख ने हिंदी पट्टी में खूब काम किया। सरकार में शामिल होने सरीखे कई मौकों को ठुकराने वाले नानाजी देशमुख को हमेशा ही संगठन भाता रहा। देश के राजनीतिक इतिहास में पहले राजनेता नानाजी रहे हैं जिन्होंने राजनीति से सन्यास लिया था। हालांकि, बाद में अटल जी ने उनका अनुकरण किया था।

 

अटल बिहारी वाजपेयी: जनसंघ की दूसरी पीढ़ी और बीजेपी के पहली पीढ़ी के नेता अटल बिहारी वाजेपयी, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। बीजेपी संगठन के पहले अध्यक्ष रह चुके अटल जी, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री भी रहे। बीजेपी के पहले नेता जो तीन बार प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया। अटल जी, पहली बार 13 दिन के लिए 1996 में पीएम बने तो दूसरी बार 1998 में 13 महीना के लिए। हालांकि, 1999 में वह पांच साल का कार्यकाल पूरा किए। अटल जी को राजनीति का अजात शत्रु कहा जाता था। 

लालकृष्ण आडवाणी: बीजेपी को सत्ता का स्वाद चखाने वाले पितृ पुरूष लालकृष्ण आडवाण, देश के उप प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। बीजेपी को दो सीटों से सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाने वाले नाम लिए जाएंगे तो उन नामों में आडवाणी का नाम शीर्ष पर होगा। तीन बार भाजपा के अध्यक्ष रह चुके लालकृष्ण आडवाणी की अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जोड़ी बेहद सफल रही। साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस आडवाणी को अभियुक्त बनाया गया। बीजेपी के हार्डलाइनर नेता आडवाणी ने अपनी छवि बदलने की कोशिश भी की थी जब उन्होंने जिन्ना के बारे में बयान दिया था लेकिन पार्टी में ही उनकी आलोचना की गई। फिलहाल, बीजेपी के पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी अलग-थलग जीवन जी रहे हैं।

प्रोफेसर बलराज मधोक: जनसंघ के संस्थापकों में एक रहे प्रोफेसर मधोक, संगठन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रो.मधोक को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना का भी श्रेय जाता है। हालांकि, मधोक का पार्टी की कुछ नीतियों पर विरोध उनके लिए घातक साबित हुआ। दरअसल, डॉ.मधोक आरएसएस के जनसंघ में बढ़ते दखल के विरोधी होने के साथ कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होने के लिए जनसंघ का जनता पार्टी में विलय के भी खिलाफ रहे। विलय का विरोध करने पर डॉ.मधोक को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और वह जीवनभर वापस नहीं लौटे।    

विजयाराजे सिंधिया: ग्वालियर राजघराने की महारानी राजमाता विजयाराजे सिंधिंया बीजेपी के संस्थापकों में से एक थीं। मध्य प्रदेश में 1967 में पहली बार गैर कांग्रेस सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली विजयाराजे सिंधिया आठ बार सांसद रही हैं। इनकी दोनों बेटियां वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया, बीजेपी की राजनीति में हैं। 

कुशाभाऊ ठाकरे: भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे, संस्थापक नेताओं में रहे हैं। वह राष्ट्रीय संगठन में रहने के साथ गुजरात, ओडिशा और मध्य प्रदेश में प्रभारी के तौर पर संगठन को मजबूत करने में जीवनपर्यन्त लगे रहे। 1998 से 2000 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। छत्तीसगढ़ में बीजेपी को स्थापित करने में सबसे बड़ा योगदान दिया।

भैरो सिंह शेखावत: बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल भैरो सिंह शेखावत राजस्थान के तीन बार सीएम रह चुके हैं। एक कांस्टेबल से राजनीति के शीर्ष पर पहुंचे शेखावत देश के उपराष्ट्रपति भी रहे हैं। वे अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने 1952 से राजस्थान के सभी चुनावों (1972 को छोड़कर) में जीत दर्ज की थी।

प्रमोद महाजन: बीजेपी को हाईटेक करने का सपना बुनने वाले युवा नेता प्रमोद महाजन, भी करिश्माई नेता माने जाते थे। अटल बिहारी वाजपेयी को बापजी कहकर पुकारने वाले प्रमोद महाजन, अटल-आडवाणी के दौर में उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते थे। पार्टी की स्ट्रेटेजी से लेकर हर कैंपेन के मुख्य कर्ताधर्ता रहे। प्रमोद महाजन ने ही बीजेपी के शाइनिंग इंडिया कैंपेन को लांच किया था। वह पार्टी के लिए चंदा जुटाने में माहिर नेता माने जाते थे। पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सलाहकार से लेकर संचार मंत्री भी रहे। 2006 में उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

कल्याण सिंह: देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में बीजेपी के सर्वमान्य और शक्तिशाली नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की गिनती सबसे अधिक जनाधार वाले नेताओं में की जाती रही है। हिंदूवादी छवि होने के साथ बतौर मुख्यमंत्री एक बेहतर और ईमानदार प्रशासक भी साबित हुए। बाबरी विध्वंस के बाद 1992 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 1997 से 1999 तक दोबारा यूपी के सीएम रहे थे। कल्याण सिंह, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे हैं। हालांकि, बीजेपी को एक बार छोड़ भी चुके थे। 

नरेंद्र मोदी: नए युग की बीजेपी के सबसे प्रभावी चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, को पार्टी को शीर्ष पर पहुंचाने का श्रेय जाता है। गृहमंत्री अमित शाह के साथ मोदी की जोड़ी ने बीजेपी की कायापलट करने के साथ बीजेपी की लोकप्रियता में भारी इजाफा किया। दो बार से केंद्र में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने के पीछे नरेंद्र मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व ही कारण माना जाता है। आज की तारीख में बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी ट्रंप कार्ड हैं जो म्यूनिसिपल इलेक्शन से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनाव तक में अकाट्य हैं। 

अमित शाह: नई बीजेपी के सबसे बड़े खेवनहार। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी बीजेपी के लिए सबसे सफल और शुभ जोड़ी है। इन दोनों की अगुवाई में भाजपा लगातार जीत का स्वाद चख रही। शाह केंद्र सरकार में गृहमंत्री हैं। बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके अमित शाह, अभी भी संगठन से लेकर सरकार तक में महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं। 2014 चुनाव में वह यूपी के प्रभारी थे। इस चुनाव में यूपी से बीजेपी को 71 सीटें जीती थी।