सार
उत्तरी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने पाकिस्तानी शरणार्थियों से मोदी सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए शरणार्थियों को भरोसा दिलाया कि बीजेपी सरकार के वादे के मुताबिक सभी को नागरिकता मिलेगी।
CAA implementation: केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को लागू किए जाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के नेता, शरणार्थियों के बहुल वाले इलाकों का दौरा कर रहे हैं। दिल्ली में पाकिस्तानी शरणार्थियों के क्षेत्र मजनू का टीला इलाका में मंगलवार को बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दौरा कर मुलाकात किया। उत्तरी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने पाकिस्तानी शरणार्थियों से मोदी सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए शरणार्थियों को भरोसा दिलाया कि बीजेपी सरकार के वादे के मुताबिक सभी को नागरिकता मिलेगी।
पाकिस्तानी शरणार्थियों से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने क्या कहा?
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने पाकिस्तानी शरणार्थियों से कहा कि नागरिकता का वादा पूरा करने के बाद जल्द ही हम आपको घर भी देंगे। उन्होंने बताया कि भारत की नागरिकता मिलने के बाद शरणार्थियों को मूलभूत सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। मनोज तिवारी से बात करते हुए एक शरणार्थी ने पीएम मोदी को राम का अवतार बता दिया। उस शरणार्थी ने कहा: मैं मोदी को राम का अवतार मानता हूं।
सोमवार को मोदी सरकार ने सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर उसे लागू कर दिया। सीएए को लागू किए जाने के बाद भारत के तीन पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। सीएए के लागू होने के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो शेयर किए गए हैं जिसमें कथित शरणार्थी नाच-गा रहे और जयश्रीराम का नारा लगा रहे।
नागरिकता आवेदन के लिए पोर्टल भी लांच
सीएए के लागू होने के बाद मंगलवार को सीएए के तहत नागरिकता आवेदन करने के लिए इच्छुक लोगों के लिए एक नया पोर्टल भी लांच किया गया। एमएचए अधिकारियों के अनुसार, सरकार 'सीएए-2019' नामक एक मोबाइल ऐप भी पेश करेगी। मोबाइल ऐप से आवेदन आसान हो जाएगा।
असम में विपक्षी नेताओं को नोटिस
उधर, सीएए के विरोध में असम के विपक्षी दलों के नेताओं ने हड़ताल का ऐलान किया है। असम के विपक्षी नेताओं द्वारा सीएए की घोषणा के विरोध में 'सबरत्मक हड़ताल' की घोषणा के एक दिन बाद ही असम सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी। असम पुलिस ने 16 विपक्षी राजनैतिक दलों को कानूनी नोटिस भेजा है और विरोध के आह्वान को रद्द करने का आदेश दिया। पुलिस ने नोटिस में कहा कि हड़ताल से शांति और सुरक्षा भंग होने की पूरी संभावना है जिससे सामान्य जीवन बाधित होगा। सार्वजनिक/निजी संपत्ति को किसी भी नुकसान या किसी नागरिक को चोट लगने की स्थिति में, कानून के उचित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
यह भी पढ़ें: