BrahMos missile: बिना गाइड दुश्मन को कर देगा तबाह, विश्व की बड़ी सेनाओं में खौफ
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आज के समय में, जब दुनिया अस्थिरता और युद्ध की आग में झुलस रही है तो हर देश अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। किसी भी समय, कोई भी देश किसका दुश्मन बन जाए, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में खुद को सुरक्षित रखने के लिए तैयारी बेहद ज़रूरी है। एक तरफ़ रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध चल रहा है, तो दूसरी तरफ़ इज़राइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही हिज़्बुल्ला लगातार इज़राइल पर रॉकेट हमले कर रहा है, जिसका इज़राइल भी मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
इन हालातों को देखते हुए, भारत ने पिछले एक दशक में अपनी सैन्य क्षमता के आधुनिकीकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत ने विभिन्न देशों से अत्याधुनिक हथियार ख़रीदे हैं और अब इन्हें ख़ुद भी बनाकर दूसरे देशों को बेच रहा है। इन्हीं में से एक ऐसा महाअस्त्र भारत के पास है, जिसकी बराबरी कोई देश नहीं कर सकता। यही वजह है कि कई देश इसे ख़रीदने के लिए बेताब हैं।
इस बेहद ख़तरनाक मिसाइल का नाम है सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल BrahMos। भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई यह मिसाइल मॉक 2.8 की रफ़्तार से चलती है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना ज़्यादा है। इसे दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भी माना जाता है। BrahMos एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जो ज़मीन और समुद्र दोनों जगहों पर हमला करने में सक्षम है। मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, और यह 10 से 15 किलोमीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है।
इस मिसाइल की ख़ासियत यह है कि इसे ज़मीन, हवा या समुद्र, कहीं से भी दागा जा सकता है। इसके नए वर्जन को 450-500 किलोमीटर तक दागा जा सकेगा। BrahMos मिसाइल 'फ़ायर एंड फ़ॉरगेट' सिद्धांत पर काम करती है, यानी एक बार दागने के बाद इसे गाइड करने की ज़रूरत नहीं होती। यह ख़ुद-ब-ख़ुद अपने लक्ष्य को भेदकर उसे तबाह कर देती है और रडार की पकड़ में भी नहीं आती, जिससे दुश्मनों के लिए इससे बचना मुश्किल हो जाता है।
ख़बरों के मुताबिक, भारत BrahMos मिसाइल के 800 किलोमीटर वाले वर्जन को विकसित कर रहा है। यह चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए चिंता का विषय है। यह स्टेल्थ तकनीक से लैस है जो रडार और पहचान के अन्य तरीकों के लिए इसे कम दिखाई देता है। इसमें जहाजों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल के लिए नेविगेशन सिस्टम (INS) और ज़मीनी ठिकानों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल के लिए ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) भी है। मिसाइल का परीक्षण पहली बार 2000 में किया गया था, और यह सुपरसोनिक गति से परीक्षण की जाने वाली पहली क्रूज़ मिसाइल थी। BrahMos में कई उन्नत क्षमताएं हैं।
BrahMos Aerospace के MD और CEO अतुल दिनकर राणे के अनुसार, "BrahMos सुपरसोनिक मिसाइल जितनी शक्तिशाली कोई और मिसाइल नहीं है। यह भारतीय सेना की तीनों शाखाओं - थल सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए एक प्रमुख हथियार है। एक ही सुपरसोनिक मिसाइल को तीनों सेनाओं के पास रखने वाला दुनिया का एकमात्र देश है।
भारतीय नौसेना के लगभग 15 युद्धपोतों पर BrahMos मिसाइलें तैनात हैं, जिनमें INS विशाखापत्तनम, INS मरमगांव और INS इम्फाल शामिल हैं। वायु सेना अपने 20-25 सुखोई विमानों को BrahMos मिसाइलों से लैस करने की योजना बना रही है और लगभग 40 जेट विमानों के पहले जत्थे को इस मिसाइल से लैस किया जा चुका है। भारतीय सेना ने और ज़्यादा BrahMos मिसाइलों की मांग की है और कुछ मिसाइलों को चीन के साथ तनाव वाले अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में तैनात किया गया है।
BrahMos की अद्भुत शक्ति को देखते हुए, दुनिया के कई देश इसे ख़रीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारत ने हाल ही में फिलीपींस को BrahMos मिसाइल की पहली खेप निर्यात की है। जनवरी 2022 में, जहाज-रोधी BrahMos मिसाइलों के लिए $375 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। BrahMos मिसाइल 75% स्वदेशी है और भारत की योजना 2026 तक इसे पूरी तरह से स्वदेशी बनाने की है।
2021 में, भारत ने उन देशों की एक सूची तैयार की जिन्हें वह BrahMos मिसाइलें बेच सकता है। इन देशों में फिलीपींस, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, UAE और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसके अलावा, मिस्र, सिंगापुर, वेनेजुएला, ग्रीस, अल्जीरिया, दक्षिण कोरिया, चिली और वियतनाम के प्रतिनिधियों ने भी इस मिसाइल को ख़रीदने में दिलचस्पी दिखाई है। BrahMos मिसाइल न केवल भारत की सैन्य क्षमता का प्रतीक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत की बढ़ती साख और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है।