सार
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद बुधवार को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। जिसके बाद लगातार 6 घंटे तक जोरदार बहस चली। इस दौरान विपक्षी नेताओं द्वारा अलग-अलग प्रस्ताव पेश किए गए साथ ही बिल को लेकर सवाल किए गए।
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद बुधवार को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। जिसके बाद लगातार 6 घंटे तक जोरदार बहस चली। इस दौरान विपक्षी नेताओं द्वारा अलग-अलग प्रस्ताव पेश किए गए साथ ही बिल को लेकर सवाल किए गए। जिसके बाद गृहमंत्री शाह ने सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया। जिसमें उन्होंने कांग्रेस की सोच और शिवसेना के रवैये को लेकर निशाना साधा।
राज्यसभा में शाह की बड़ी बातें
राज्यसभा में सवालों के जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इस देश की सरकारें सिर्फ सरकार चलाती रही है। उन्होंने इन समस्याओं से दो-दो हाथ किया होता तो हमारी सरकार यह बिल नहीं लाती। साथ ही उन्होंने बिल के जरूरत के सवाल के जवाब में कहा कि आज रात को रूम में अंधेरा कर सवाल उठाने वाले नेता अपने आत्मा से बात कीजिएगा। यदि 50 साल पहले बिल आया होता तो यह समस्या पैदा नहीं होती।
आनंद शर्मा और सिब्बल के टोंकने के बाद भी गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर दोहराया कि धर्म के आधार पर हुए देश के बंटवारा के कारण मुझे यह बिल लाना पड़ रहा है। 8 अप्रैल1950 में नेहरू लियाकत के बीच हुए समझौता में दोनों देश के प्रधानमंत्री ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य बहुसंख्यकों के साथ अपने देश में सार्वजनिक जीवन में भागीदारी, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी दी जाएगी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि समझौते में किए गए इन वादों का क्या हुआ।
इस देश में अल्पसंख्यकों को संरक्षित किया गया। जिसके कारण इस देश का मुस्लिम देश के सर्वोच्च अदालत का मुख्य न्यायाधीश मुस्लिम बना, इस देश का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बना। लेकिन इन तीन देशों में अल्पसंख्यंकों के साथ अन्याय हुआ। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के इस बिल में अन्य देशों से आए लोग कहेंगे मैं शरणार्थी हूं मुझे नागरिकता दो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग अन्याय करते रहे वो आज सवाल पूछ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के सवाल के जवाब पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि जब श्रीलंकाई लोगों को नागरिकता दी गई तो बांग्लादेश के लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यह कहा जा सकता कि पूरानी सरकारों ने हिंदूओं को नागरिकता नहीं दी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के बंटवारे के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार ने शरणार्थियों को स्वीकार किया लेकिन श्रीलंका के लोगों को क्यों स्वीकार नहीं किया गया। यह सवाल उठाया जा सकता है। लेकिन परिस्थितियों के कारण ऐसे निर्णय लिए जाते हैं।
6 धर्म के लोगों को देश में जगह दे रहे इसको लेकर कोई सवाल नहीं है। लेकिन एक धर्म के लोगों को नागरिकता नहीं दे रहें है तो सवाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिसे राष्ट्र का धर्म ही इस्लाम है तब इस्लाम को मानने वालों पर प्रताड़ने का सवाल नहीं पैदा किया जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन सब के अलावा कोई मुस्लिम नागरिक आवेदन करता है तो संविधान के आधार पर उसे भी मान्यता दी जाएगी।
हम 1950 से कहते है कि सीएबी लाना चाहिए, कांग्रेस पार्टी एक अजीब पार्टी है। जब चिंदम्बरम जी गृहमंत्री थे तो एक पत्र लिखा गया कि सिर्फ दो धर्मों को राजस्थान के बार्डर पर रहने की रियायत दी गई। मगर हम 6 धर्म के अल्पसंख्यकों को ला रहे हैं। फिर सवाल क्यों उठाया जा रहा है। इस दौरान कपिल सिब्बल कह रहे कि आपसे कोई मुसलमान नहीं डरता, मैं कह रहा हूं कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है। गृहमंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए
भारत के मुसलमानों को भारत ने सम्मान दिया है। तीन देशों से आए लोगों को हम नागरिकता दे रहे हैं। लेकिन देश के किसी भी मुसलमान की नागरिकता छिन नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को हर नागरिक मानता है। महात्मा गांधी ने 26 सितंबर 1947 में यह खुलेआम घोषणा की कि हिंदू और सिख वो भारत आए भारत उनको स्वीकार करेगा। सिर्फ स्वीकार ही नहीं करेगा बल्कि उन्हे रोजगार व अन्य अधिकार दिए जाएंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं जब इस विषय पर बात करता हूं तो विभाजन के बाद शरणार्थियों यानी वहां के अल्पसंख्यंकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने जो कहा उसे मोदी सरकार पूरा कर रही है। ममता बनर्जी ने 4-8 2005 को कहा था बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गई है। मतदाता सूची में आप बांग्लादेशियों के साथ भारतीयों के नाम देख सकते है। नेहरू और लियाकत का जो समझौता था उसे पड़ोसी देशों ने लागू नहीं किया। मोदी सरकार प्रताड़ितों को मान्यता देगी।
कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि देश का विभाजन सावरकर के एक बयान ने से हुआ। लेकिन मुझे नहीं मालूम की सावरकर ने यह बयान कब दिया। लेकिन किसने विभाजन की मांग की और कांग्रेस पार्टी ने क्यों स्वीकार किया वो भी धर्म के आधार पर। विवेकानंद ने कहा था कि धार्मिक आधार पर प्रताड़ित यहूदियों को हमने नागरिकता दी। यह भी धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यंकों को नागरिकता दे रहे है।
राउत पर पलटवार करते हुए कहा कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते है। उन्होंने कहा कि सोमवार को बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना रातों-रात विरोध में क्यों आ गई। उन्होंने कहा कि सरकार को न सही महाराष्ट्र की जनता को जवाब दें। 70 वर्षों से नर्क की यातना में जी रहे लोगों को मोदी सरकार ने न्याय दिया। मोदी सरकार ने वोट की राजनीति के इतर शरणार्थियों को न्याय दिया। यह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
दिल्ली में 21 हजार सिख रहते हैं। हमारे आंख कान खुले है इसलिए हमे प्रताड़ितों का दर्द सुनाई दे रहा है। भारतीय मुसलमानों को डराइए नहीं, किसी का अधिकार नहीं छिना जा रहा है। अधिकार दिया जा रहा है। हम इसी देश में जन्मे हैं हमे आईडिया ऑफ इंडिया मत समझाईए। हमारी सात पुस्तें इसी देश में जन्मी हैं और हम यहीं मरेंगे। मोदी सरकार का एक ही धर्म है इस देश का संविधान जो कभी भी इस देश को मुस्लिम मुक्त नहीं बनाएगा।
श्रीलंका से आए शरणार्थियों में से 4 लाख 61 हजार, बाद 94 हजार फिर 75 हजार लोगों को अलग-अलग समयों पर नागरिकता दी गई। न सीएबी, धारा 370 और तीन तलाक मुस्लिम विरोधी नहीं है। तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की लड़ाई है। कश्मीर में भी हिंदू रहता है बावजूद इसके धारा 370 हटाया गया और वहां शांति है। इसलिए सरकार के यह कदम मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। असम के संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करेंगे।
सीएबी पर इमरान की तरह बोल रहे कांग्रेस के नेता। कल ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया है और कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिया है, वह एक समान है। इसके साथ ही उन्होंने धारा 370, एयरस्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान दिए गए बयानों का उदाहरण दिया। इतने बौखलाते हो तो बताओ एनईमी बिल का विरोध क्यों किया।
पाकिस्तान के अंदर सिख और हिंदू लड़कियों का अपहरण कर धर्म परिवर्तन किया गया। जिस पर विपक्ष ने हंगामा खड़ा दिया। अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान का नाम लेते है तो इनको क्यों कष्ट होता है। उन्होंने कहा कि 428 पूजा स्थलों में सिर्फ 20 बच गए है। 47 प्रतिशत अल्पसंख्यक अब 3 प्रतिशत रह गए हैं। शेख की सरकार जाने के बाद अत्याचार बढ़ा है।
आफगानिस्तान में दो लाख सिख हिंदू थे लेकिन अब 500 रह गए है। सारे बुद्ध स्तूपों को तोड़ दिया गया। पूजा स्थलों को तोड़ दिया गया है। पाकिस्तान में ईसाईयों का साथ बूरा व्यवहार किया जा रहा है। उनको अछूत माना जा रहा है। 2002 में तक्षशिला में बम फेंके गए जिसमें नर्सों की मौत हो गई। यह बिल किसी की भावना आहत करने के लिए नहीं है। इस देश में किसी भी मुस्लिम के साथ अन्याय नहीं होगा।