सार

 ड्राइवर का कहना है कि कैब चलाने से बेहतर खेती करना है क्योंकि शहर में ड्राइविंग करते हुए अमीरों से गरीब को बीमारियां हो रही हैं।

बेंगलुरु. कोरोना वायरस के भारत में मामले बढ़कर एक हजार से भी ऊपर पहुंच गए हैं। इनमें विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। भारत आए बहुत से विदेशी नागरिकों को कोराना पॉजिटिव पाया गया है। इस बीच बेंगलुरु से एक खबर सामने आई है। दरअसल विदेश से लौटे एक मुसाफिर को अपनी गाड़ी में बैठाने वाला सब छोड़-छाड़ अपने गांव भाग गया है। 

कैब ड्राइवर को जैसे ही पता चला कि उसकी गाड़ी में बैठने वाला विदेशी कोरोना पॉजिटिव निकला है वो अपने गांव तमिलनाडु भाग खड़ा हुआ। कैब ड्राइवर 13 मार्च को स्पेन से आए एक विदेशी को केम्पेगौड़ा इंटरनैशनल एयरपोर्ट से मजेस्टी तक ले गया था। अब जब ड्राइवर को पता चला कि जिस शख्स को उसने अपनी गाड़ी में बैठाया था, वह कोराना पॉजिटिव है तो वह अपने घर तमिलनाडु भाग गया।

15 सालों से चला रहा है कैब

पिछले 15 साल से ये कैब ड्राइवर बेंगलुरु में कैब चलाता है। दो साल से वह कई कैब की सेवाएं उपलब्ध करा रहे थे। उनका कहना है कि ड्राइवर को ज्यादा रिस्क होता है क्योंकि वह अक्सर सवारी का सामान उठा लेते हैं और कैब के अंदर मुसाफिर से उनकी दूरी छह फीट से भी कम होती है।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने किया ड्राइवर को अलर्ट

13 मार्च को स्पेन से आए शख्स को कैब सेवा देने के पांच दिन बाद उनके पास स्वास्थ्य अधिकारियों का फोन आया। उन्हें यह सुनकर झटका लगा कि जिस शख्स को वह कैब में लाए थे वह कोरोना पॉजिटिव है। 
 
सुनते ही डर गया ड्राइवर

भुवनेश्वरी नगर में रहने वाले इस ड्राइवर का कहना है, 'मेरे पास जब फोन आया तो मैं बहुत डर गया था। मुझसे कहा गया कि मैं सबसे पहले उस शख्स के संपर्क में आया था। मुझसे तुरंत कार को धुलने को कहा गया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मुझे बुखार या सर्दी तो नहीं है। 

मुझमें कोई लक्षण नहीं लेकिन निगरानी करनी होगी

अब तक मुझे ऐसे कोई लक्षण नहीं हैं। लेकिन मुझे नजर रखनी होगी। अब मुझे चिंता है कि अपने रिश्तेदार जिन दो कैब ड्राइवरों के साथ गया था कहीं वे तो संक्रमित नहीं हो गए।'

अमीरों से गरीबों को हो रही बीमारियां

कैब ड्राइवर ने तमिलनाडु के जोलारपेट स्थित अपने गांव से फोन पर बताया, 'कोविड-19 के खतरे की वजह से कई कैब ड्राइवर मास्क पहन रहे हैं। लेकिन यह सुविधाजनक नहीं है। हमने ग्राहकों से बातचीत करना भी बंद कर दिया है।' अब वह कह रहा है कि कैब चलाने से बेहतर खेती करना है क्योंकि शहर में ड्राइविंग करते हुए अमीरों से गरीब को बीमारियां हो रही हैं।

14 दिन के आइसोलेशन की सख्त सलाह

वह कहते हैं, 'हम बेंगलुरु पैसा कमाने के लिए आए थे किसी बीमारी का शिकार होने नहीं। मुझे खुशी है कि मैंने पहले ही शहर छोड़ दिया। इस लॉकडाउन के बाद हम बेंगलुरु में नहीं रह सकते थे।' स्वास्थ्य विभाग को कैब ड्राइवर के घर जाने के बारे में पता है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है, 'अब हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। उन्हें घर पर सख्ती से 14 दिन के आइसोलेशन का पालन करना होगा। अगर उन्हें कोई लक्षण होते हैं तो उन्हें तमिलनाडु की हेल्पलाइन पर कॉल करने के बाद नजदीकी अस्पताल जाना चाहिए।'