सार

द कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) शुक्रवार को ई वे बिल, पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें और जीएसटी (GST) को लेकर भारत बंद बुलाया है। वहीं, ट्रांसपोर्टर्स के संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भी बंद और चक्का जाम की अपील की है। बता दें कि कैट (CAIT) देश के करीब 8 करोड़ छोटे दुकानदारों का संगठन है। 

नई दिल्ली. द कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) शुक्रवार को ई वे बिल, पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें और जीएसटी (GST) को लेकर भारत बंद बुलाया है। वहीं, ट्रांसपोर्टर्स के संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भी बंद और चक्का जाम की अपील की है। बता दें कि कैट (CAIT) देश के करीब 8 करोड़ छोटे दुकानदारों का संगठन है। 

CAIT ने दावा किया है कि संगठन शुक्रवार को 1500 जगहों पर धरना देगा। इसके साथ ही सभी बाजार बंद रहेंगे। 40 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठनों से जुड़े करीब 8 करोड़ कारोबारी बंद को समर्थन दे रहे हैं। वहीं, ट्रांसपोर्ट यूनियन्स ने भी नए ई-वे बिल कानून के विरोध में कैट का समर्थन किया है। वे इस दौरान ट्रांसपोर्ट ऑफिस बंद रखेंगे। इसके अलावा माल की बुकिंग, डिलिवरी, लोडिंग और अनलोडिंग बंद रहेगी। 

क्या है नाराजगी की वजह ?
देश के खुदरा दुकानदार एमेजॉन जैसे रिटेल चेन के बढ़ते प्रभाव और कथित मनमानी से काफी नाराज हैं। इसके अलावा व्यापारी जीएसटी में बदलाव की मांग कर रहे हैं। वहीं, ट्रांसपोर्टर्स पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों और ई वे बिल में आने वाली समस्याओं को लेकर नाराज हैं। 

क्या हैं व्यापारियों की मांगें ?
CAIT का कहना है कि जीएसटी में संशोधन कर टैक्स स्लैब को सरल बनाया जाए। इतना ही नहीं संगठन ने जीएसटी के कई प्रावधानों को मनमाना और कठोर बताया है, साथ ही उन्हें खत्म करने की मांग भी की है। इसके अलावा कैट अमेजन और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कथित रूप से नियमों के उल्लंघन और मनमानी का भी विरोध कर रहा है। 

व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी में संशोधन कर अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए हैं। वे किसी व्यापारी को बिना कारण बताए, उसका रजिस्ट्रेशन तक रद्द कर सकते हैं। इसके अलााव बैंक खाता और संपत्ति भी जब्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं ऐसा करने से पहले व्यापारी को नोटिस देना भी जरूरी नहीं है। 

लॉकडाउन के बाद सरकार ने बढ़ाया संकट
कैट के मुताबिक, लॉकडाउन में व्यापारी काफी परेशान रहे। इसके बाद भी सरकार ने संकट को कम करने की बजाय बढ़ा दियाा। सरकार ने जीएसटी को लेकर कई ऐसे नोटिफिकेशन जारी किए हैं, जो व्यापारियों की दिक्कतों को बढ़ा रहे हैं। 

व्यापारियों की प्रमुख मांगें

  • नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी बने
  • अपीलेट ट्रिब्यूनल बनाया जाए
  • जीएसटी से पहले और बाद के पीरियड में फंसे रिफंड को रिलीज किया जाए
  • व्यापारियों के उत्पीड़न को रोका जाए
  • जिले में जीएसटी कमेटी बनाई जाए

क्या हैं ट्रासपोर्टर्स की मांगें
ट्रांसपोर्टर्स ई वे बिल व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टर्स इस व्यवस्था को नाकाम बताते हुए खत्म करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही ट्रांसपोर्टर्स डीजल और पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमतों से परेशान हैं। उन्होंने मांग की है कि ईंधन के बढ़ते दामों पर रोक लगाई जाए। देशभर में इनकी कीमत एक समान हो। 

क्या है ई वे बिल ?
दरअसल, माल के ट्रांसपोर्ट के वक्त जीएसटी के ई वे बिल पोर्टल पर उसका इलेक्ट्रॉनिक बिल तैयार किया जाता है। जीएसटी में रजिस्टर्ड कोई भी व्यापारी किसी वाहन में निर्धारित सीमा से ज्यादा माल बिना ई वे बिल के नहीं ले जा सकता। 200 किमी तक ई बिल की वैधता एक दिन होती है। इसके बिना वाहन जब्त भी हो जाता है। अगर ई बिल में कोई एरर होता है, तो माल के मूल्य का 100% या टैक्स का 200% तक जुर्माना लगा दिया जाता है।