सार
केंद्र ने मेघालय, इलाहाबाद, गौहाटी, उड़ीसा, उत्तराखंड, राजस्थान और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस की नियुक्ति की है।
High Courts Chief Justices appointment: देश के सात हाईकोर्ट्स में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति कर दी गई है। शुक्रवार को केंद्र सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय ने हाईकोर्ट्स के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है। केंद्र ने मेघालय, इलाहाबाद, गौहाटी, उड़ीसा, उत्तराखंड, राजस्थान और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस की नियुक्ति की है।
किसको किस हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया?
मेघालय हाईकोर्ट के लिए जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एस वैद्यनाथन को मेघालय हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं। मेघालय हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनना अपने कार्यालय का प्रभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। वहीं गौहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विजय बिश्नोई को नियुक्त किया गया है। जस्टिस बिश्नोई राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं।
जबकि केंद्र ने पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह को उड़ीसा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की न्यायाधीश जस्टिस रितु बाहरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया को नियुक्त किया गया है। जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में न्यायाधीश हैं।
कॉलेजियम ने की थी सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में इन हाईकोर्ट्स में चीफ जस्टिस के पदों पर नियुक्ति के लिए सिफारिशें केंद्र सरकार को भेजी थी। कॉलेजियम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई शामिल थे। दरअसल, कॉलेजियम को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में पिछले कुछ सालों से ठनी रहती है। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की सिफारिशों को लगातार रोके जाने और न्यायापालिका के कामों को प्रभावित करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगता रहा है। पूर्व कानून मंत्री किरेन रिजिजू तो लगातार सुप्रीम कोर्ट पर हमला बोलते रहे हैं। हालांकि, बीते कैबिनेट विस्तार में रिजिजू का मंत्रालय बदल दिया गया था।
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