सार
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के हल के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इस दौरान यह फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक किसी भी राज्य द्वारा दूसरे राज्य के इलाके पर क्लेम नहीं किया जाएगा।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद के हल के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के सीएम बासवराज बोम्मई और गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र मौजूद थे। बैठक में फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई राज्य एक दूसरे के क्षेत्र पर क्लेम नहीं करेगा। दरअसल, पिछले दिनों महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। महाराष्ट्र ने कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों पर दावा किया है।
865 गांवों पर महाराष्ट्र ने किया है क्लेम
बेलगांव और पुणे में दोनों राज्यों के वाहनों पर हमला कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। इसके बाद कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद को लेकर हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं थी। महाराष्ट्र राज्य 1 मई 1960 को बना था। महाराष्ट्र ने दावा किया है कि बेलगाँव (अब बेलगावी), कारवार और निप्पनी सहित 865 गांवों को महाराष्ट्र में विलय कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, कर्नाटक ने अपना क्षेत्र छोड़ने से इनकार कर दिया है। सीमा विवाद को लेकर हिंसक घटनाएं होने पर अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन किया था और उन्हें बैठक के लिए बुलाया था।
सड़क पर नहीं हो सकता विवाद का समाधान
बैठक के बाद अमित शाह ने कहा, "मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और वरिष्ठ साथियों को बुलाया था। दोनों पक्षों के साथ भारत सरकार के गृह विभाग के अधिकारी की उपस्थिति में बात हुई है। दोनों मुख्यमंत्रियों ने सकारात्मक एप्रोच रखा है। कुल मिलाकर इस बात पर सहमति हो गई है कि विवाद का समाधान लोकतंत्र में सड़क पर नहीं हो सकता। संविधान द्वारा बताए गए रास्ते से हो सकता है।"
गृह मंत्री ने कहा, " कुछ फैसले हुए हैं। जब तक सुप्रीम कोर्ट का इस बारे में फैसला नहीं आ जाता है। कोई भी राज्य एक-दूसरे के इलाके पर क्लेम नहीं करेगा। दोनों राज्यों को मिलाकर कमेटी बनेगी। इसमें दोनों ओर से तीन-तीन मंत्री शामिल होंगे। वे एक साथ बैठेंगे और डिटेल परकोलेशन किस प्रकार से हो इसपर बात करेंगे। छोटे-छोटे कई और मुद्दे भी हैं। ऐसे मुद्दों का निवारण भी ये तीन-तीन मंत्री करेंगे।
सीनियर आईपीएस अफसर की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
अमित शाह ने कहा, "दोनों राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनी रहे, अन्य भाषा बोलने वाली आबादी, यात्री या व्यापारियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़े, इसके लिए एक सीनियर आईपीएस अफसर की अध्यक्षता में दोनों राज्य कमेटी बनाने के लिए सहमत हुए हैं। यह कमेटी कानून-व्यवस्था को संविधान के हिसाब से ठीक रखने का प्रयास करेगी।"
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गृह मंत्री ने कहा, "बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि हिंसा भड़काने में फेक ट्वीट ने भी बहुत बड़ा रोल निभाया है। कुछ फेक ट्वीट सर्वोच्च नेताओं के नाम से जेनरेट किए गए और फैलाए गए। ये मामला बहुत गंभीर इसलिए है कि इस प्रकार से ट्वीट से दोनों ओर की जनता की भावनाएं भड़कती हैं और घटनाएं जन्म लेती हैं। ये तय हुआ है कि जहां-जहां भी इस प्रकार के फेक ट्वीट के मामले सामने आए हैं, वहां FIR दर्ज किए जाएंगे। जिन्होंने ट्वीट किया है उन्हें जनता के सामने एक्सपोज किया जाएगा।"
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