सार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सभी सर्विसेस का नियंत्रण दिल्ली की निर्वाचित सरकार को सौंपने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद से उप राज्यपाल का अनावश्यक हस्तक्षेप खत्म हो जाता।
Delhi Ordinance on control of services: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण के लिए लाए जा रहे अध्यादेश के खिलाफ सुनवाई करते हुए मामले को संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया है। दरअसल, काफी दिनों से केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच नौकरशाही पर कंट्रोल को लेकर खींचतान पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर पूरा नियंत्रण एलजी को पुन: परोक्ष तरीके से सौंपने का मन बनाया है। केद्र इस मानसून सेशन में अध्यादेश को सदन में पेश भी करेगा।
क्या है अध्यादेश में जिससे दिल्ली सरकार कोर्ट पहुंची?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सभी सर्विसेस का नियंत्रण दिल्ली राज्य की निर्वाचित सरकार को सौंपने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद से दिल्ली सरकार का नौकरशाही पर पूरा नियंत्रण हो जाता और उप राज्यपाल का अनावश्यक हस्तक्षेप खत्म हो जाता। इस आदेश के एक सप्ताह बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाया। इसके अंतर्गत दिल्ली के अलावा कई केंद्र शासित प्रदेशों में एक प्राधिकरण का गठन किया जाना है। इसके अंतर्गत प्राधिकरण के अंतर्गत नौकरीशाही का ट्रांसफर और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार मिला। प्राधिकरण दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली के लिए बनाया गया। मुख्यमंत्री को प्राधिकरण में रखा गया है जबकि दो अन्य सदस्यों में सीनियर आईएएस अधिकारियों को रखा गया है। इस प्राधिरकण के फैसले बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे। अगर मुख्यमंत्री प्राधिकरण में किसी अनुशासनात्मक कार्रवाई या किसी ट्रांसफर की संस्तुति करता है तो प्राधिकरण के दो अन्य सदस्य असहमत हैं तो मामला सीधे एलजी के पास चला जाएगा। यानी कि परोक्ष रुप से एलजी के पास पूरा नियंत्रण।
एलजी के पास था दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का जिम्मा
दिल्ली सरकार के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार, 11 मई के पहले तक उप राज्यपाल के पास था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एलजी और राज्य सरकार के झगड़े को खत्म करने हुए अपना फैसला सुनाया और राज्य की निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में इस मामले को दे दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच आठ साल पुराने विवाद को समाप्त करते हुए यह बताया कि नौकरशाही का पूरा नियंत्रण राज्य सरकार के पास होगा। यह केंद्र सरकार के 2015 की अधिसूचना के आधार पर लिया गया फैसला था। कोर्ट ने कहा था कि एक निर्वाचित सरकार को नौकरशाहों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, अन्यथा सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।