सार

पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने पलटवार किया था। उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और कॉर्डिनेट करने में पीएम की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश। हाल ही में कुछ दिन पहले देश के लगभग 600 वकीलों ने मिलकर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका की अखंडता को कमजोर करने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की थी। इन वकीलों में हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी सहित प्रमुख वकीलों के नाम शामिल थे। इस पर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है।5 दशक पहले ही उन्होंने प्रतिबद्ध न्यायपालिका का आह्वान किया था। हालांकि, वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। इस पर आश्चर्य करने की बात नहीं है कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें अस्वीकार कर रहे हैं।

पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने पलटवार किया था। उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और कॉर्डिनेट करने में पीएम की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है। हाल के सप्ताहों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बांड योजना तो इसका एक उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि वे कंपनियों को भाजपा को दान देने के लिए मजबूर करने के लिए भय, ब्लैकमेल और धमकी का एक ज़बरदस्त साधन थे। हालांकि, इन सब के बावजूद ब्लूक्राफ्ट मीडिया के CEO अखिलेश मिश्रा ने जयराम रमेश समेत कांग्रेस को उनके द्वारा किए गए काले कारनामे को याद दिलाते हुए एक्स पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें कांग्रेस के सारे काले चिट्ठे शामिल है।

कांग्रेस के द्वार पूर्व में किए गए कामों की फेरहिस्त

ब्लूक्राफ्ट मीडिया के CEO अखिलेश मिश्रा ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि ऐसा लगता है कि संपूर्ण कांग्रेस पारिस्थितिकी तंत्र को न्यायपालिका सहित भारत की हर संस्था के खिलाफ किए गए अपराधों की याद दिलाने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस के द्वार पूर्व में किए गए कामों की फेरहिस्त बनाई है।

 

 

1) न्यायमूर्ति ए.एन. रे को 1973 में इंदिरा गांधी ने तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की जगह लेते हुए CJI नियुक्त किया था। क्यों? जस्टिस रे और इंदिरा गांधी के बीच क्या संबंध था जिसके कारण न्यायालय की गरिमा पर यह हमला हुआ और जिसके कारण पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन भड़क उठा?

2) जस्टिस एचआर खन्ना को हटाकर जस्टिस बेग को CJI क्यों बनाया गया? और ये बात यहीं नहीं रुकी, जस्टिस बेग ने उन अखबारों के खिलाफ अवमानना ​​शुरू की, जिन्होंने जबलपुर मामले में उनके कुख्यात फैसले पर सवाल उठाया था। बाद में उन्हें राजीव गांधी ने पद्म विभूषण भी दिया था।

3) जस्टिस बहारुल इस्लाम एक ऐसे जज के रूप में बदनाम रहेंगे जिन्होंने इंदिरा गांधी के इशारे पर फिर से पूरी न्यायपालिका को बदनाम किया। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य, उन्हें HC और SC दोनों में नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने घोटालों में फंसे कांग्रेस नेताओं को दोषमुक्त करने वाले फैसले दिये और रिटायरमेंट के तुरंत बाद उन्हें फिर से राज्यसभा सदस्य बना दिया गया।

4) जस्टिस रंगनाथ मिश्रा ने 1984 के सिख नरसंहार को छुपाने में शर्मनाक भूमिका निभाई। उन्हें कांग्रेस द्वारा NHRC का पहला प्रमुख और फिर बाद में राज्यसभा सदस्य बनाकर पुरस्कृत किया गया।

5) राजीव गांधी के समय जज बनाये गये जस्टिस रामास्वामी आकंठ भ्रष्ट आचरण में डूबे हुए थे। हर राजनीतिक दल ने उनके महाभियोग के लिए मतदान किया लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बचा लिया। क्यों? राजीव की संदिग्ध विरासत को बचाने के लिए?

6) भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कांग्रेस के हिटमैन कपिल सिब्बल के सामने झुकने से इनकार कर दिया। इस पर पूरी कांग्रेस पार्टी ने उनके खिलाफ महाभियोग की याचिका दायर की। क्यों? इसलिए नहीं कि उस पर कोई केस था।सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कांग्रेस की लाइन पर चलने से इनकार कर दिया और राम मंदिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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