सार

चंद्रयान-3 स्पेस क्राफ्ट (Chandrayaan-3 Spacecraft) चंद्रमा की सतह के और नजदीक पहुंच गया है। चंद्रयान 3 ने एक और ऑर्बिट रिडक्शन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

Chandrayaan-3 Spacecraft. इसरो का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। 9 अगस्त यानि बुधवार को यह चंद्रमा की सतह के और भी नजदीक पहुंच गया। चंद्रयान-3 स्पेस क्राफ्ट चंद्रमा की एक और कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है। इससे पहले 5 अगस्त को पहली बार स्पेस क्राफ्ट चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हुआ था। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक वह 100 किलोमीटर की कक्षा में एंट्री कर जाएगा।

14-15 अगस्त को क्या होगा

इसरो के अनुसार 14 और 15 अगस्त को इसरो चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट को दो और कक्षाओं में एंट्री कराने की कोशिश करेगा और इसके बाद लैंडिंग मॉड्यूल का प्रोसेस शुरू होगा। इस प्रोसेस में लैंडर और मूवर भी शामिल है। तब इसे प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया जाएगा। इसरो का मानना है कि तब लैंडर डीबूस्ट (धीमा होने की प्रक्रिया) होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस पल का इंतजार इसरो के साथ पूरा देश और दुनिया की कई स्पेस एजेंसीज भी कर रही हैं।

 

 

14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण

इसरो द्वारा बीते 14 जुलाई को चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन स्पेस क्राफ्ट ने 1 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। जानकारी के अनुसार चंद्रमा पर उतरने के बाद चंद्रयान-3 में मौजूद लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करेंगे। चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य है कि चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करे। इसके बाद रोवर वहां रोविंग करेगा और कई वैज्ञानिक प्रयोगों का भी संचालन करेगा।

कैसा बनाया गया है कि विक्रम लैंडर

चंद्रयान-3 की बात करें तो यह चंद्रयान-2 से अलग है और इसके सॉफ्ट लैंडिग के लिए कई प्रयोगों के दौर से गुजरने के बाद प्रेक्षेपित किया गया है। विक्रम लैंडर का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि वह पिछली असफलताओं को दूर कर सटीक लैंडिंग करे।

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