सार

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। दिन भर चली चर्चा के बाद यह बिल लोकसभा में पास हो गया। 

नई दिल्ली. लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। दिन भर चली चर्चा के बाद यह बिल लोकसभा में पास हो गया। बिल के समर्थन में 311 वोट पड़े। वहीं, विरोध में 80 मत पड़े। बिल पर शिवसेना, जदयू, बीजद, अन्नाद्रमुक, लोजपा और अकाली दल ने सरकार का समर्थन किया। अब मोदी सरकार की चुनौती इसे राज्यसभा में पास कराने की है। 

'पीओके हमारा है, वहां के लोग हमारे हैं'
इससे पहले चर्चा के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, पीओके भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं और आज भी हम जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 24 सीट इनके लिए आरक्षित रखते हैं। 

शाह ने बयान की खास बातें

- गृह मंत्री ने कहा, मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिए और शरणार्थी में मौलिक अंतर है। जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, जो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है।

- शाह ने कहा कि वे कहते हैं कि मुसलमानों से नफरत क्यों हैं? मैं कहना चाहता हूं कि हमें कोई नफरत नहीं हैं, बस आप कोई नफरत मत खड़ी करना। इस बिल का भारत के नागरिक मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं हैं।

- उन्होंने कहा, ओवेसी साहब ने कहा की NRC का बैकग्राउंड बना रहे हैं, NRC का कोई बैकग्राउंड बनाने की जरूरत ही नहीं हैं, हम इस पर बहुत साफ हैं कि इस देश में NRC लागू होकर रहेगा। हमारा घोषणापत्र ही इसका बैकग्राउंड है। 

- शाह ने कहा, मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पाएगा। रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। ये मैं आज फिर कह रहा हूं

- गृह मंत्री ने कहा, कांग्रेस ऐसी सेक्युलर पार्टी, जो केरल में मुस्लिम लीग के और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ है। 

- 'अभिषेक बनर्जी ने आज अपने वक्तव्य में टैगोर, विवेकानंद और बंकिम बाबू का नाम लिया। लेकिन बंकिम बाबू के समय ऐसे बंगाल की कल्पना थी क्या कि दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट में जाना पड़े?'

- हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है। ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते। 

ओवैसी ने बिल की कॉपी फाड़ी
इससे पहले चर्चा के दौरान एमआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सदन में बिल की कॉपी फाड़ दी। ओवैसी लगातार इस बिल का विरोध कर रहे थे। ओवैसी ने कहा कि ये एक और बंटवारा होने जा रहा है। यह बिल संविधान के खिलाफ है। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। मैं ये बिल फाड़ रहा हूं क्यों कि इससे देश का बंटवारा किया जा रहा है। 

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है। इस विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से जुड़ा है। इसके मुताबिक इन 3 देशों से आने वाले शरणार्थी अगर 6 (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) धर्मों के हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।

समयावधि 11 से घटाकर 6 साल की गई
संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि घटाकर 11 साल से 6 साल की गई है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के लिए पात्र होंगे।

क्या है विरोध की बड़ी वजह?
इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।