सार

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद लोकसभा चुनाव लड़ने से दूर रह सकते हैं। इसके चलते कांग्रेस में बेचैनी है। खड़गे राज्यसभा सांसद हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) लोकसभा चुनाव 2024 में खुद मैदान में उतरने से बच सकते हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है कि ऐसा संभव है कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ें। मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव नहीं लड़ने से पार्टी के एक वर्ग में बेचैनी की खबर है। यह ऐसा है जैसे सेना का जनरल खुद जंग के मैदान में नहीं उतरे और फ्रंट से लीड नहीं करे।

हालांकि, खड़गे ने इस ओर पहले ही संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि वह खुद अपने लिए चुनाव लड़ने की जगह बड़ी तस्वीर पर ध्यान दे रहे हैं। कर्नाटक के गुलबर्गा सीट से खड़गे के चुनाव लड़ने की चर्चा हुई थी। हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह अपने दामाद राधाकृष्णन डोड्डामणि को इस सीट से टिकट दे सकते हैं।

2019 में चुनाव हार गए थे मल्लिकार्जुन खड़गे

खड़गे ने गुलबर्गा सीट से दो बार लोकसभा चुनाव जीता था, लेकिन 2019 में चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया था। राज्यसभा सांसद के रूप में उनका कार्यकाल चार साल बचा हुआ है। खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वह इच्छुक नहीं हैं। कांग्रेस आम चुनाव में राज्य के मंत्रियों को उतारने से बच रही है। खड़गे ने कहा है कि वह एक निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि पूरे देश पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।

कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष के चुनाव लड़ने की रही है परंपरा

दरअसल, कांग्रेस में ऐसी परंपरा रही है कि पार्टी अध्यक्ष खुद लोकसभा चुनाव लड़ें। हाल के वर्षों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश के अमेठी सीट से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हराया था। राहुल दूसरी सीट केरल के वायनाड से चुनाव जीते थे।

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भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लोकसभा चुनाव 2024 नहीं लड़ रहे हैं। वहीं, 2014 और 2019 में तत्कालीन बीजेपी प्रमुख राजनाथ सिंह और अमित शाह ने लखनऊ और गांधीनगर से बड़ी जीत हासिल की थी। विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की पिछली बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया था। खड़गे ने यह कहते हुए मना कर दिया था कि चुनाव खत्म होने के बाद इस मामले पर चर्चा की जानी चाहिए।

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