सार

रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक साल जेल की सजा दी है। 1988 में सिद्धू ने 65 साल के बुजुर्ग को घूंसा मारा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुस्से का नतीजा भुगतना होगा।

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को रोड रेज मामले में एक साल जेल की सजा का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक समीक्षा याचिका में अपने 2018 के फैसले को संशोधित किया और सिद्धू को एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

1988 में पटियाला में रोड रेज को लेकर हुए विवाद के दौरान सिद्धू ने 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग के सिर पर घूंसा मार दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। 1999 तक मामला निचली अदालत में था। निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था। इसके बाद उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई थी, जिसने 2006 में सिद्धू को दोषी ठहराया था।

सिद्धू ने तब शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसने 2018 में माना कि जांच में चूक हुई थी, लेकिन धारा 323 के तहत चोट पहुंचाने के अपराध के लिए उसकी सजा को केवल 1000 रुपए के जुर्माने तक कम कर दिया। परिवार ने फिर एक समीक्षा याचिका दायर की। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने अब फैसले में बदलाव किया है।

गुस्से का नतीजा भुगतना होगा
पीठ ने कहा कि हम मानते हैं कि केवल जुर्माना लगाने और प्रतिवादी को बिना किसी सजा के जाने देने की आवश्यकता नहीं थी। जब एक 25 वर्षीय व्यक्ति (जो एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर था) अपनी उम्र के दोगुने से अधिक व्यक्ति पर हमला करता है और अपने नंगे हाथों से भी उसके सिर पर गंभीर प्रहार करता है तो नुकसान का अनपेक्षित परिणाम अभी भी उचित रूप से जिम्मेदार होगा। हो सकता है कि आपा खो गया हो, लेकिन फिर गुस्से का नतीजा भुगतना होगा।

उचित सजा देना हर अदालत का कर्तव्य 
कोर्ट ने कहा कि यदि अदालतें घायलों की रक्षा नहीं करती हैं तो समाज गंभीर खतरों के तहत लंबे समय तक नहीं टिक सकता। घायल निजी प्रतिशोध का सहारा लेंगे। इसलिए अपराध की प्रकृति और जिस तरीके से इसे निष्पादित या प्रतिबद्ध किया गया था
को ध्यान में रखते हुए उचित सजा देना हर अदालत का कर्तव्य है। 

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फैसले के बाद गुरनाम सिंह के परिवार के वकील सुधीर वालिया ने कहा कि फैसला "स्वागत योग्य और बहुत भावुक" था। उन्होंने इतने लंबे समय तक यह लड़ाई लड़ी है। वे एक गरीब किसान परिवार हैं। मैं दोपहर से फैसले के इंतजार में गुरुद्वारे में बैठा हूं। इससे पता चलता है कि न्याय प्रणाली काम करती है। अपराध को कुछ समय चुकाना पड़ता है।

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फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता एएम सिंघवी ने कहा कि यह एक "दुर्लभ मामला" था। अदालत के लिए एक आपराधिक मामले में इस तरह के आदेश को समीक्षा में पारित करना बेहद असामान्य है। सिद्धू द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर टिप्पणी करने से पहले हमें फैसले का अध्ययन करना होगा।