सार
कोरोना की दूसरी लहर बीत चुकी है। तीसरी लहर के आने का अंदाजा लगाया जा रहा है। ऐसे में Asianet News के विकास कुमार यादव ने पूजा से बात की। पूजा मई महीने में संक्रमित हुई थीं, लेकिन एक हफ्ते में ठीक हो गईं। उन्होंने बताया कि सर्दी-खांसी की शुरू हुई दिक्कत कहां तक पहुंची?
नई दिल्ली. कोरोना महामारी की दूसरी लहर बीत चुकी है। इस बीच कई जगहों पर प्रतिबंधो में छूट दी गई है। हॉस्पिटल में भीड़ कम है और दुकानें खुलने लगी है। लेकिन मई का महीना जितने डर में बीत उसकी एक बानगी भोपाल की रहने वाली पूजा की कहानी से मिल जाएगी। पूजा ने बताया कि कैसे कोरोना की दूसरी लहर में लोग संक्रमित हो रहे थे और वे अपने 6 महीने के बच्चे को लेकर डरी हुई थीं।
Asianet News के विकास कुमार यादव ने पूजा से बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह से जब उन्हें सर्दी-खांसी की दिक्कत हुई तो परेशान हुईं और उसका क्या इलाज किया?
'मैंने हर जगह सुना था, कोरोना से मौत की खबरें'
मैं पूजा, यूपी के आजमगढ़ की रहने वाली हूं। मई महीने में हर जगह कोरोना से हो रही मौतों को बारे में सुन रही थी। मेरे कई करीबी भी इसका शिकार हुए थे, जिनसे रोज बात होती थी वे भी। ऐसे में डर और भी ज्यादा बढ़ गया था। ऐसे में मैं खुद के लिए कम अपने बच्चे के लिए ज्यादा डर रही थी।
'मेरा 6 महीने का बच्चा है, उसे लेकर ज्यादा परेशान थी'
मेरा 6 महीने का बच्चा है। उसे लेकर ज्यादा परेशान इसलिए थी कि मुझे संक्रमण हुआ तो दवा और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करके ठीक हो जाऊंगी, लेकिन मेरी वजह से बेटे को कुछ हुआ तो उसके लिए दवाइयां कम हैं। कोरोना प्रोटोकॉल को भी फॉल कराने में दिक्कत होती।
'एक दिन मुझे सर्दी-खांसी की दिक्कत होने लगी'
ये सब मन में चल ही रहा था कि एक दिन मुझे सर्दी और खांसी की दिक्कत हुई। अगले दिन बुखार भी आया। पहले दिन तो काढ़ा पीकर और भाप लेकर काम चलाया। लेकिन जब बुखार आया तो तुरन्त डॉक्टर के पास गई। इस दौरान बच्चे के पास भी कम जाती थी। डॉक्टर ने कुछ दवाएं दीं। मैंने पूछा कि बच्चे के पास जाऊं या नहीं। डॉक्टर ने कहा कि जा सकती हैं लेकिन मास्क लगाकर जाएं।
'एक हफ्ते तक मन में एक अनजान सा डर रहा'
करीब एक हफ्ते तक एक अनजान से डर में रही। दवा तो ले रही थी, लेकिन ये नहीं पता था कि कोरोना है या नॉर्मल सर्दी खांसी। हां, डॉक्टर ने कोरोना की ही दवा दी थी। इसलिए और ज्यादा डरी थी और बच्चे से दूर ही थी। लेकिन वो एक हफ्ता कितना डरावना था वो मैं ही जान सकती हूं।
'दिन में 4 बार भाप लेती और काढ़ा पीती थी'
जल्दी से जल्दी ठीक हो जाऊं, इसलिए दिन में 4 बार भाप लेती और काढ़ा पीती थी। नाक मे सरसों का तेल भी डालती थी, जिससे बहुत ज्यादा फायदा मिला। इसके अलावा खुद को आइसोलेट कर लिया था, जिससे बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद मिली।
'बच्चे कोरोना संक्रमण का करियर होते हैं'
डॉक्टर ने बताया था कि बच्चा संक्रमित होता है तो उसे कुछ फिक्स दवाएं दी जाएंगी। हालांकि उससे ज्यादा खतरा इसका बात का है कि छोटे बच्चे कोरोना संक्रमण को एक जगह से दूसरे जगह तेजी से फैलाते हैं। ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि घर का हर सदस्य गोद में लेकर घूमता है। ऐसे में अगर किसी एक को हुआ तो बच्चे के जरिए वह दूसरे तक भी पहुंच जाता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण में बच्चे के संभालना मुश्किल काम है।
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