सार

 दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रोटेस्ट के 90 दिन से ज्यादा गुजर चुके हैं मगर नागरिकता कानून पर विपक्ष के विरोध के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार अपने स्टैंड से टस से मस नहीं हुई है

नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में प्रोटेस्ट के 90 दिन से ज्यादा गुजर चुके हैं। मगर नागरिकता कानून पर विपक्ष के विरोध के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार अपने स्टैंड से टस से मस नहीं हुई है। पिछले दिनों नॉर्थ दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों और अब कोरोना वायरस (कोविड 19) की वजह से शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों का हौसला पस्त होता नजर आ रहा है। अब शाहीनबाग के प्रोटेस्ट पर इसका असर साफ देखा जा सकता है।

भारत में हर रोज कोरोना से इन्फेक्टेड लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसके चलते अभी तक दो लोगों की मौत भी चुकी है। कोरोना से मरने वालों में एक दिल्ली की महिला भी शामिल हैं। केंद्र से लेकर देश की सभी राज्य सरकारें हाई अलर्ट पर हैं। सरकार और संस्थानाओं ने सार्वजनिक कार्यक्रम, आयोजन टाल दिए गए हैं। दिल्ली, एनसीआर की तमाम निजी कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों को ऑफिस आने से मना कर दिया है। गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और दिल्ली की कई नामी देशी विदेशी कंपनियां कोरोना की वजह से फिलहाल वर्क फ्रोम होम मोड में हैं।

कोरोना के खौफ में दिल्ली एनसीआर

एनसीआर के कई स्कूल, कॉलेज अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की केजरीवाल सरकार लगातार लोगों को समझा रही हैं कि एकसाथ इकट्ठा होने से बचें ताकि कोरोना को फैलाने से रोका जा सके। कोरोना के खतरे की आशंका के बावजूद शाहीन बाग में प्रदर्शन अब भी जारी है।

दावा: कोरोना वायरस से नहीं टूटेगा हौसला, मगर...

शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में शामिल राबिया हिन्दी एशियानेट न्यूज से कहती हैं, "कोरोना वायरस से बचने के लिए खुद ही बंदोबस्त कर रहे हैं। मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए यहां आने वाले लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल महिलाओं और लोगों को मास्क भी बांट रहे हैं ताकि लोग किसी संक्रमण के खतरे से पूरी तरह से बच सकें।" राबिया का दावा है कि जब हम ठंड और बारिश से नहीं घबराए तो अब कोरोना या किसी बीमारी के आगे पस्त होने का सवाल नहीं।

कोरोना ने तोड़ दी कमर, गिने चुने लोग कर रहे खानपूर्ति  

राबिया राबिया भले ही प्रदर्शनकारियों के कोरोना वायरस से न घबराने का दावा कर रही हैं मगर जिस तरह से शाहीन बाग के प्रदर्शन में आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है उससे दूसरी ही कहानी देखी जा सकती है। अब यहां दिन में गिनी चुनी महिलाएं ही प्रदर्शन में बैठी नजर आती हैं। ये भीड़ शाम को थोड़ी बढ़ जाती है। लेकिन यह संख्या भी अधिकतम चार से पांच सौ के बीच तक ही पहुंच पाती है। जबकि कोरोना वायरस से पहले यहां एक समय में हजारों की संख्या में महिलाएं बच्चे और पुरुष जुटे नजर आते थे। प्रोटेस्ट स्थल के आस पास तिल रखने की भी जगह नहीं होती थी। प्रदर्शनकारियों में अब वो हौसला नहीं दिख रहा है जो कोरना वायरस के शोर और दिल्ली हिंसा से पहले था।

दंगों के बाद आने से घबराते हैं लोग

उधर, मोहम्मद अहमद ने हमसे कहा, "दिल्ली के दंगों ने शाहीन बाग के माथे पर दाग लगा दिया। एक वजह यह भी है कि अब यहां लोग आने से घबराने लगे हैं। प्रदर्शनकारी अपन जिद पर अड़े हुए हैं। इससे किसी तरह का कोई नतीजा निकलता नजर नहीं आ रहा है।" अहमद सवाल करते  हैं, "शाहीन बाग की तर्ज पर जाफराबाद के प्रदर्शन का नतीजा क्या रहा? हिंदू-मुस्लिम आमने-सामने आ गए। लोगों मारे गए, घर जले और कारोबार खत्म हो गए। इन तमाम वजहों से भी अब बहुत कम लोग आते हैं।"

कोरोना के डर से हौसला तोड़ने की कोशिश

उधर रूमशा खान ने कहा, "हमारा प्रदर्शन हिंदू समुदाय के खिलाफ नहीं है बल्कि सरकार के काले कानून (नागरिकता कानून) के खिलाफ है। नेताओं की सह पर दंगे कराए गए ताकि सीएए-एनआरसी और एनपीआर के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों को बदनाम किया जा सके, लेकिन हम इस जुल्म से घबराने वाले नहीं है। दंगे के बाद अब कोरना वायरस का डर दिखा कर हमारे हौसलों को तोड़ने की कोशिश है।"

अमित शाह के बयान पर भरोसा नहीं

हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में साफ किया कि एनपीआर में डाउट का कोई डी नहीं लगेगा और न ही किसी तरह का कोई दस्तावेज दिखाने की जरूरत है। बावजूद शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हमें यकीन है कि अगर प्रदर्शन के दबाव में यह अभी लागू नहीं होता तो बाद में सरकार इसे लागू कर देगी। इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार संसद में इसे लागू न करने का प्रस्ताव पारित करे। केंद्र सरकार इस बारे में लिखित शपथपत्र उच्चतम न्यायालय में दाखिल करे। हम तभी सड़क से हटेंगे जब हमारी मांग मानी जाएंगी। सरकार के आश्वासन में हम नहीं हटेंगे।

तीन महीने से बंद हाइवे, जाम; कारोबार ठप  

कालिंदी कुंज से सरिता विहार हाईवे पिछले तीन महीने से सीएए-एनआरसी और एनपीआर के विरोध में शाहीन बाग प्रदर्शन की वजह से बंद हैं। आस पास के वैकल्पिक रास्तों पर लोगों को बेवजह जाम में फंसना पड़ा रहा है। प्रदर्शनस्थल के आसपास डेढ़ सौ से ज्यादा दुकानें बंद होने से रोजाना कई करोड़ का कारोबार भी ठप हो रहा है, लेकिन प्रदर्शकारियों के पर कोई असर नहीं पड़ा है।