सार

अरब सागर से उठा डीप डिप्रेशन मंगलवार को चक्रवाती तूफान में बदल गया। महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ा। तूफान महाराष्ट्र के अलीबाग तट से टकारा गया है। महाराष्ट्र में जोरदार बारिश हो रही है। तूफान निसर्ग का सबसे ज्यादा असर रायगढ़, सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिले में देखने को मिल रहा है।

मुंबई. अरब सागर से उठा डीप डिप्रेशन मंगलवार को चक्रवाती तूफान में बदल गया। महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों की ओर बढ़ा। तूफान महाराष्ट्र के अलीबाग तट से टकारा गया है। महाराष्ट्र में जोरदार बारिश हो रही है। तूफान निसर्ग का सबसे ज्यादा असर रायगढ़, सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिले में देखने को मिल रहा है। राहत कार्य के लिए एनडीआरएफ की तैनाती कर दी गई है। मौसम विभाग के मुताबिक तूफान का पिछले हिस्सा अभी समुंद्र के ऊपर ही है।   

मौसम विभाग के साइक्लोन ई-एटलस के मुताबिक, 1891 के बाद पहली बार महाराष्ट्र के तटीय इलाके के आसपास साइक्लोन का खतरा मंडराया है। इससे पहले साल 1948 और 1980 में ऐसी स्थिति उत्पन्न तो हुई थी। 

गुजरात में मुकाबले के लिए एनडीआरएफ तैनात

तूफान का असर गुजरात में भी पड़ने वाला है। निसर्ग के तूफान का मुकाबला करने के  लिए एनडीआरएफ की टीमों को तैनात कर दिया गया है। इसके साथ ही द्वारका में तूफान का असर देखने को मिला। जहां समुंद्र में ऊंची-ऊंची लहरे उठती हुई दिखाई दीं। वहीं, प्रशासन ने तटीय इलाकों को खाली करा लिया है। 

अपडेट्स

-निसर्ग तूफान की वजह से मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। 

-निसर्ग तूफान में एक जहाज फंस गया और रत्नागिरी के भाटीमिर्या समुद्र तट पर पहुंच गया।

-पुलिस ससून डॉक के शेड के भीतर जाने और समुद्र तट के करीब खड़े न रहने की हिदायत दे रही है।

- तेज हवाओं के कारण कई जगहों पर पेड़ ही उखड़ गए हैं। 

-तूफान से पहले महाराष्ट्र के पालघर जिले के गांवों से 21 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। जिले के सभी उद्योगों और बाजारों को बंद कर दिया गया।

-मछुआरों से 4 जून तक समुद्र में न जाने को कहा गया।  तूफान को देखते हुए पश्चिम नौसेना कमान ने अपनी सभी टीमों को सतर्क कर दिया। नौसेना ने 5 बाढ़ टीम और 3 गोताखोरों टीमों को मुंबई में तैयार रखा है। 

- मुंबई में विमानों की आवाजाही को 7 बजे तक के लिए रोक दिया गया है। 

 

क्या है तैयारी? 

गुजरात के तटीय जिलों में 80 हजार लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है। नौसेना ने मुंबई में 5 फ्लड रेस्क्यू टीम और 3 गोताखोर टीम तैनात की हैं। वहीं पालघर जिले में सब बंद। मुंबई में मछुआरों ने नौकाएं हटा दी है। महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में धारा 144 लागू। 

महाराष्ट्र में एनडीआरएफ की 20 टीमों की तैनाती की गई है, जिसमें मुंबई में 8 टीमें, रायगढ़ में 5, पालगढ़ में 2, थाणे में 2, रत्नागिरी में 2 और सिंधुदुर्ग में 1 टीम की तैनाती की गई है। 

निसर्ग का असर? 

-गोवा में निसर्ग का असर, पणजी में भारी बारिश।
-मुंबई में भी बारिश शुरू, बुधवार को 27 सेमी से ज्यादा बारिश संभव, समुद्र में दो मीटर ऊंची लहरें उठेंगी।
-ऐहतियातन संभावित प्रभावित जिलों में बिजली-पानी की सप्लाई बंद हो रही है।
-महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग, रत्नागिरि, रायगढ़, मुंबई और पालगढ़ में असर दिखेगा। 
-गुजरात में नवसारी में भी तूफान का असर देखने को मिलेगा। 
-इंडिगो एयरलाइंस ने तीन फ्लाइट को छोड़कर आज मुंबई से अपनी आने-जाने वाली 17 फ्लाइट रद्द कर दी हैं। 

21 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया

मुंबई में 21 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। इनमें से कुछ कोरोना मरीज भी हैं। मुंबई में कोरोना के 41000 से ज्यादा मामले हैं। चक्रवात को देखते हुए वसई, पालघर, दहानू और तालासारी तालुके में अलर्ट जारी किया गया है। यहां से लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है।

सूरत के 32 गांवों में अलर्ट जारी 

निसर्ग चक्रवात को लेकर सूरत में अलर्ट जारी है और NDRF की एक टीम सूरत पहुंच गई है। सूरत के समंदर तटीय 32 गावों को अलर्ट किया गया है। वहीं, मछुआरों को 4 जून तक समंदर की ओर ना जाने का आदेश दिया गया है। सूरत के डुम्मस, डभारी और सुवाली बीच को भी बंद कर दिया गया है।बता दें कि दक्षिण-पूर्व और इससे सटे पूर्व-मध्य अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र में कम दबाव वाला क्षेत्र सोमवार को गहरे डिप्रेशन में बदल गया है। यह आगे और भी उग्र रूप धारण करके दो जून को सुबह के समय चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। इसके बाद फिर 3 जून की शाम या रात तक एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है।

देश में चार साल बाद मानसून के साथ तूफान

केरल में मानसून की दस्तक के साथ अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान निसर्ग अति तीव्र तूफान में बदलने वाला है। डॉप्लर राडार इंचार्ज वेद प्रकाश ने बताया कि जून के पहले हफ्ते में जब धरती सूखी रहती है आयन ज्यादा मात्रा बनते हैं पानी बरसने पर ब्लीचिंग हो जाती है, सतह से हट जाते हैं, इस कारण बिजली गिरने की आशंका बढ़ जाती है।