सार

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच बैठक हुई। यह चार महीने से चले आ रहे तनाव के बीच मंत्रालय स्तर की पहली बैठक थी। बैठक 2 घंटे 20 मिनट चली।

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच बैठक हुई। बैठक 2.20 मिनट चली। यह चार महीने से चले आ रहे तनाव के बीच मंत्रालय स्तर की पहली बैठक थी। इस दौरान राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि चीनी सेना की एलएसी पर कार्रवाई द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है, इसलिए जल्द से जल्द चीनी सेना को पीछे हटना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही राजनाथ सिंह ने इस पूरे मुद्दे को बातचीत से हल करने पर भी जोर दिया।

राजनाथ सिंह ने दिया स्पष्ट संदेश
 

  • रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्र के साथ दोनों देशों के संबंधों पर खुलकर और गहन चर्चा हुई। 
  • इस दौरान राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ने पिछले कुछ महीनों से सीमा पर गलवान घाटी समेत एलएसी पर हुए घटनाक्रम पर भारत की स्थिति के बारे में बताया। उन्होंने बैठक में कहा, बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के साथ उनकी कार्रवाई, आक्रामक व्यवहार और यथास्थिति में बदलाव के प्रयास द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन थे। 
  • राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया, लेकिन साथ ही किसी को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
  • रक्षा मंत्री ने कहा, दोनों पक्षों को नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों के आगे के विकास के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति कायम करना आवश्यक है और दोनों पक्षों को मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए।
  • उन्होंने कहा,  यह महत्वपूर्ण था कि चीनी पक्ष को भारत के साथ मिलकर पैंगोंग झील समेत सभी विवादित क्षेत्रों से जल्द से जल्द पीछे हटना चाहिए। जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत काम हो सके।
  • रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि वर्तमान स्थिति को जिम्मेदारी से संभाला जाना चाहिए और न ही किसी भी पक्ष को आगे की कार्रवाई ऐसी करनी चाहिए जो या तो स्थिति को मुश्किल कर सकती है या सीमावर्ती क्षेत्रों में विवाद आगे बढ़ा सकती है।
  • रक्षा मंत्री ने संदेश दिया कि दोनों पक्षों को राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखनी चाहिए, जिससे जल्द से जल्द एलएसी पर पूर्ण शांति बहाली हो सके।


चीन के अनुरोध पर हुई बैठक
राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने रूस पहुंचे हैं। यहां चीन ने भारत से एससीओ के इतर बैठक करने का अनुरोध किया था। भारत ने इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद मास्को के एक होटल में शुक्रवार रात करीब 9 बजे दोनों के बीच वार्ता शुरू हुई। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डी बी वेंकटेश वर्मा भी थे।

ट्वीट कर दी जानकारी
रक्षा मंत्री के कार्यालय से ट्वीट कर बताया गया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच हो गई है। यह बैठक 2 घंटे 20 मिनट तक चली। भारत लगातार चीन से सीमा विवाद को बातचीत से हल करने के पक्ष में नजर आ रहा है। 

राजनाथ सिंह ने दिखाए कड़े तेवर
बैठक के बाद कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं। इनमें साफ दिख रहा है कि राजनाथ सिंह कड़े लहजे में अपना पक्ष रखते नजर आ रहे हैं। वहीं, चीनी विदेश मंत्री शांति से उनकी बात सुनते नजर आ रहे हैं। मई से भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है। दोनों पक्षों के बीच आमने सामने की शीर्ष स्तर पर यह पहली मुलाकात थी। 

चीन ने फिर की घुसपैठ की कोशिश 
इससे पहले 29-30 अगस्त को चीन के करीब 500 सैनिकों ने पैंगोंग में घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि, यहां पहले से मुस्तैद भारतीय जवानों ने इस कोशिश को नाकाम कर दिया। इसके बाद चीन ने 31 अगस्त को भी घुसपैठ की नाकाम कोशिश की। 

15 जून को हुई थी हिंसक झड़प
भारत और चीन के बीच विवाद पिछले 3-4 महीनों से चल रहा है। 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, चीन के भी 40 जवान मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अब तक आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।

सख्त लहजा और कड़क आवाज, राजनाथ सिंह ने बैठक में चीन को बता दी भारत की ताकत 

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