दिल्ली ब्लास्ट केस में NIA को बड़ी सफलता मिली है। आतंकी संदिग्ध मुज़म्मिल के दो और गुप्त ठिकाने उजागर हुए, जहां कश्मीरी फलों के बिज़नेस की आड़ में विस्फोटक जमा थे। व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल से 2,900 kg विस्फोटक बरामद हुआ।

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में हुए ब्लास्ट की जांच जितनी आगे बढ़ रही है, उतने ही चौंकाने वाले राज़ सामने आ रहे हैं। NIA की टीम को अब आतंकी संदिग्ध डॉ. मुज़म्मिल गनई के दो और गुप्त ठिकाने मिले हैं। इन ठिकानों पर पुलिस और NIA को ऐसे सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि यह पूरा मॉड्यूल एक बड़े, गुप्त और बेहद चालाक नेटवर्क के जरिए काम कर रहा था। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे नेटवर्क की आड़ में कश्मीरी फलों के बिज़नेस का प्लान इस्तेमाल किया गया था।

क्या ‘कश्मीरी फलों का बिज़नेस’ सिर्फ एक कवर स्टोरी थी?

NIA की जांच में पता चला कि मुज़म्मिल ने फरीदाबाद के खोरी जमालपुर गांव में एक घर और जमीन पर बने छोटे कमरे को यह कहकर किराए पर लिया था कि वह कश्मीरी फलों का बिज़नेस शुरू करना चाहता है। घर के मालिक जुम्मा खान ने बताया कि उन्होंने कभी शक नहीं किया, क्योंकि मुज़म्मिल बेहद शांत, पढ़ा-लिखा और हंसकर बात करने वाला व्यक्ति था। पर जांच में सामने आया कि इसी कमरे में लगभग 12 दिनों तक बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामान जमा किया गया था।

क्यों लगातार ठिकाने बदल रहा था मुज़म्मिल?

जांच में सामने आया कि मुज़म्मिल एक जगह ज्यादा दिनों तक नहीं रुकता था। अप्रैल से जुलाई के बीच वह अल फलाह यूनिवर्सिटी के पास एक रॉ मटेरियल फैक्ट्री के ऊपर बने कमरे में रहा और 8,000 रुपये महीने किराया देता था। तीन महीने बाद उसने घर यह कहकर खाली कर दिया कि गर्मी ज्यादा है। अब NIA को शक है कि यह सिर्फ बहाना था-असल वजह थी विस्फोटक को बार-बार अलग-अलग जगह शिफ्ट करना, ताकि कोई पकड़ न सके।

12 दिन तक विस्फोटक छुपा-कहां से आया इतना सामान?

NIA को मिले सबूत बताते हैं कि मुज़म्मिल ने किसान की जमीन पर बने कमरे में बड़ी मात्रा में बारूद और रॉ मटेरियल जमा किया था। उसके बाद उसने ये सामान फतेहपुर तगा गांव में मौलवी इश्तियाक के घर में शिफ्ट कर दिया। यह तरीका बताता है कि यह काम किसी एक व्यक्ति का नहीं था-इसके पीछे एक पूरी टीम काम कर रही थी।

दो और गुप्त ठिकाने-कितना बड़ा था नेटवर्क?

जानकारी के मुताबिक, फतेहपुर तगा और धौज में पहले से किराए पर लिए गए दो कमरों के अलावा, मुज़म्मिल के पास ये दो नए ठिकाने भी मिले हैं। NIA को अब शक है कि अकेले मुज़म्मिल नहीं, बल्कि एक पूरी शिक्षित आतंकी टीम, यानी ‘व्हाइट-कॉलर मॉड्यूल’ इसमें शामिल था। यह मॉड्यूल इतना खतरनाक था कि फरीदाबाद में की गई रेड में 2,900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ-जो किसी बहुत बड़े हमले के लिए इस्तेमाल हो सकता था।

क्या डॉक्टरों का व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल चल रहा था?

फरीदाबाद से पुलिस ने एक ऐसा मॉड्यूल पकड़ा जिसे 'व्हाइट-कॉलर आतंकवादी नेटवर्क' कहा जा रहा है। यानी ऐसे लोग जो बाहर से पढ़े-लिखे और प्रोफेशनल दिखते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर आतंक की प्लानिंग करते हैं। यहां से 2,900 किलो विस्फोटक भी बरामद हुआ। मुज़म्मिल सहित तीन डॉक्टर गिरफ्तार किए गए। गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद लाल किले के पास डॉ. उमर की चलाई जा रही i20 कार में धमाका हुआ, जिसमें 15 लोग मारे गए।

दिल्ली में धमाका-क्या यह मॉड्यूल की सफाई थी?

और भी हैरानी की बात यह है कि मुज़म्मिल की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद, उसके साथी डॉ. उमर की चलायी जा रही एक धीमी गति वाली हुंडई i20 में लाल किले के पास अचानक विस्फोट हुआ। इस ब्लास्ट में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह धमाका किसी “प्रमाण मिटाने” या “प्लान गड़बड़ाने” की कोशिश भी हो सकता है। NIA की जांच अब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है कि यह मॉड्यूल कितना बड़ा था और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल थे।