सार

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कैंसल की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति मामले के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 25 स्थानों पर शुक्रवार(14 अक्टूबर) को छापेमारी की है। उप राज्यपाल की CBI से सिफारिश के बाद इस मामले में लगातार छापे पड़ रहे हैं।

नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate-ED) ने कैंसल की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति(now-scrapped Delhi Excise policy) मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 25 स्थानों पर शुक्रवार(14 अक्टूबर) को छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सर्च ऑपरेशन के तहत शराब डीलरशिप और डिस्ट्रीब्यूटरशिप से जुड़ी निजी संस्थाओं के जांच-पड़ताल की जा रही हैं।  (यह तस्वीर 12 अक्टूबर की है, जब बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड-Buddy Retail Pvt Limited के डायरेक्टर अमित अरोड़ा अपने बेटे के साथ सीबीआई कार्यालय में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में जवाब देने पहुंचे थे।)

पिछले महीने शराब निर्माता कंपनी के MD को किया गया था अरेस्ट
संघीय एजेंसी(federal agency) ने इस मामले में अब तक कई छापेमारी की है। पिछले महीने शराब व्यवसायी और शराब निर्माण कंपनी इंडोस्पिरिट के प्रबंध निदेशक समीर महंदरू को भी गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला CBI की एक FIR दर्ज होने के बाद सामने आया है। इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी एक आरोपी हैं।   दिल्ली एलजी(उप राज्यपाल) द्वारा दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद यह आबकारी नीति जांच के दायरे में आई है। उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था। 

27 सितंबर को भी हुई थी बड़ी गिरफ्तारी
आबकारी नीति मामले में सीबीआई ने 27 सितंबर को बड़ी कार्रवाई की थी। इस केस में केंद्रीय एजेंसी ने पहली गिरफ्तारी की थी। सीबीआई ने 15 आरोपियों में सबसे पहले विजय नायर पर शिकंजा कसते हुए उनको गिरफ्तार किया था। विजय नायर सीबीआई के एफआईआर में मुख्य 15 आरोपियों में एक हैं। नायर, एक इवेंट मैनेजर हैं और ओनली मच लाउडर कंपनी के सीईओ रहे हैं।

क्या है आबकारी नीति करप्शन केस?
दिल्ली सरकार बीते साल नई आबकारी नीति लाई थी। दिल्ली आबकारी नीति के लागू होने के बाद आप सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप है कि इस नीति से डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने करीबियों को लाभ पहुंचाया है। इसके एवज में उनके खास लोगों के माध्यम से करोड़ों रुपयों का ट्रांसफर किया गया है। बीते दिनों दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। हालांकि मामला उलझते देख अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति वापस ले हुए पुरानी बहाल कर दी थी। विवादास्पद आबकारी नीति 17 नवम्बर 2021 को लागू की गई थी। 

एक अगस्त को कैंसल कर दी गई थी नई आबकारी नीति
दिल्ली में संचालित 468 निजी शराब की दुकानें 1 अगस्त से बंद कर दी गई थीं। दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। भाजपा ने आप सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूछा था कि आप को जवाब देना चाहिए कि नीति के तहत लाइसेंसधारियों का कमीशन 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया? इस पर आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने जवाब दिया था किनई आबकारी नीति में ओपन टेंडर के माध्यम से पारदर्शी तरीके से लाइसेंस जारी किए गए। पुराने शासन में सरकार को 6,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता था, जबकि नई आबकारी नीति से सरकार को पूरे वर्ष में 9,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलना तय था।

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