सार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे पुलिस आयुक्त को भाजपा के तीन नेताओं द्वारा सीएए हिंसा के सिलसिले में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की सलाह दें

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे पुलिस आयुक्त को भाजपा के तीन नेताओं द्वारा सीएए हिंसा के सिलसिले में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की सलाह दें।

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने कहा हालात बहुत खराब हैं

सुनवाई दोपहर ढाई बजे जारी रहेगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि बाहर के हालात बहुत ही खराब हैं। उच्च न्यायालय ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राजेश देव से पूछा कि क्या उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा के कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण का वीडियो क्लिप देखा है।

मेहता ने दोहराया कि वह टेलीविजन नहीं देखते हैं और वे क्लिप उन्होंने नहीं देखीं हैं। देव ने कहा कि उन्होंने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के वीडियो देखे हैं लेकिन मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है। पुलिस अधिकारी के बयान पर न्यायमूर्ति मुरलीधर ने टिप्पणी की, ‘‘दिल्ली पुलिस की दशा पर मुझे वाकई में हैरानी है।’’ उन्होंने अदालत के कर्मचारियों से अदालत कक्ष में मिश्रा का वीडियो क्लिप चलाने को कहा।

कार्यवाही बंद कक्ष में की जाएगी

ठसाठस भरे अदालत कक्ष में जब वहां जमा लोग शोर मचाने लगे तो पीठ ने कहा कि शिष्टता से पेश आएं अन्यथा कार्यवाही बंद कक्ष में की जाएगी। सुनवाई की शुरुआत में पुलिस आयुक्त का प्रतिनिधित्व करने के मुद्दे पर सॉलिसीटर जनरल मेहता और दिल्ली सरकार के अधिवक्ता राहुल मेहरा के बीच तीखी बहस हुई। मेहरा ने पुलिस आयुक्त की ओर से विधिक अधिकारी के पेश होने पर आपत्ति जताई।

मेहरा ने कहा कि केंद्र तथा दिल्ली सरकार की शक्तियों के मुद्दे का निपटारा उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ कर चुकी है और हर किसी को देश के कानून का पालन करना चाहिए। मेहता ने कहा कि मामले में भारत संघ भी एक पक्षकार है और उन्हें पेश होने का निर्देश उपराज्यपाल ने दिया है।

मैं किसी रैली को संबोधित नहीं कर रहा

मेहता ने कहा, ‘‘यहां अशोभनीय माहौल मत बनाईये। मैं किसी रैली को संबोधित नहीं कर रहा। मैं मुवक्किल की ओर से पेश हुआ हूं।’’ इसके बाद उन्हें मामले में दलीलें रखने की अनुमति दी गई। सॉलिसीटर जनरल ने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका में केन्द्र को भी पक्षकार बनाने का अनुरोध किया और कहा कि यह मुद्दा कानून-व्यवस्था से जुड़ा है

मेहता ने उच्च न्यायालय से मामले पर सुनवाई बृहस्पतिवार को करने का अनुरोध करते हुए कहा कि याचिका में जो आग्रह किया गया है उस पर कल सुनवाई की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेता वर्मा और ठाकुर ने कई दिन पहले बयान दिए थे और इन पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।

तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग

इस पर अदालत ने कहा, ‘‘तो क्या यह बात इसे और अत्यावश्यक नहीं बनाती है। जब पुलिस आयुक्त ऐसे बयानों से वाकिफ थे तो क्या यह जरूरी था कोई उनसे कार्रवाई करने को कहे। एक विधिक अधिकारी के तौर पर आप जवाब दीजिए कि क्या यह अनुरोध (तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग) आवश्यक है या नहीं।’’

मेहता ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि यह आवश्यक नहीं है लेकिन कल तक का इंतजार किया जा सकता है।’’वकील फजल अब्दाली और नबीला हसन के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि 22 फरवरी को करीब 500 लोग जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पहुंचे, जहां पर महिलाएं सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही थीं ।

हिंसा में 20 लोगों की मौत हो गयी

इसमें आरोप लगाया गया कि 23 फरवरी को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने मौजपुर मेट्रो स्टेशन के पास सीएए के समर्थन में रैली निकाली और भड़काऊ, आपत्तिजनक बयान दिए और इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक ट्वीट भी पोस्ट किया ।

याचिका में मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा तथा अन्य के खिलाफ अधिकारियों को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हुई हिंसा में 20 लोगों की मौत हो गयी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतीकात्मक फोटो)