सार
आवास मंत्रालय ने अदालत को बताया कि अवैध कब्जे वाले लगभग 565 आवास में से 347 खाली कराए गए हैं और 69 दोबारा आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय की इस जानकारी के बाद अदालत ने यह आदेश दिया। मंत्रालय ने अदालत को बताया कि बाकी 149 आवासों में से सात अन्य विभागों के पूल में डाले गए है, 14 आवासों को खाली कराने पर रोक लगाई गई है, 55 अन्य आवास कश्मीर विस्थापितों को आवंटित किए गए है जिन्हें खाली कराने पर रोक है और 73 अभी खाली कराए जाने हैं।
नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से खाली कराए गए एवं पुन: आवंटित सरकारी आवासों और इसमें गैरकानूनी तरीके से रहने वाले लोगों से वसूले गए जुर्माने की रकम का ब्यौरा देने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी़ हरिशंकर की पीठ ने बंगले खाली कराने के लिए दिए गए नोटिस और आवासों में अवैध रूप से रह रहे लोगों से वसूले गए बकाए की जानकारी भी मांगी है।
अब तक अवैध कब्जे वाले 556 आवास में से 347 खाली कराए गए
आवास मंत्रालय ने अदालत को बताया कि अवैध कब्जे वाले लगभग 565 आवास में से 347 खाली कराए गए हैं और 69 दोबारा आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय की इस जानकारी के बाद अदालत ने यह आदेश दिया। मंत्रालय ने अदालत को बताया कि बाकी 149 आवासों में से सात अन्य विभागों के पूल में डाले गए है, 14 आवासों को खाली कराने पर रोक लगाई गई है, 55 अन्य आवास कश्मीर विस्थापितों को आवंटित किए गए है जिन्हें खाली कराने पर रोक है और 73 अभी खाली कराए जाने हैं।
उसने बताया कि उन 73 इकाइयों को खाली कराने के आदेश दे दिए गए हैं जिन पर अवैध कब्जा किया गया है और उन्हें खाली कराने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार खाली कराए गए आवासों, दोबारा आवंटित आवासों, जारी किए गए नोटिसों और वसूले गए जुर्माने के ब्यौरा का हलफनामा दे।
पद से हटने के बाद भी कई अवासों पर सांसदों, विधायकों और अधिकारियों का कब्जा है
पीठ ने 27 फरवरी को दिए गए इस आदेश के साथ मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 मई तक स्थगित कर दिया। अदालत उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि सांसदों, विधायकों और अधिकारियों के कई ऐसे आवास हैं, जिन पर पद से हट जाने के बाद भी लोगों ने कथित तौर पर कब्जा किया हुआ है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)