सार
दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल (Delhi LG Anil Baijal) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। 2016 में नजीब जंग के अचानक इस्तीफे के बाद उन्होंने पदभार संभाला था। बैजल 5 साल और 4 महीने से अधिक समय से दिल्ली के उपराज्यपाल थे।
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल (Delhi LG Anil Baijal) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। अनिल बैजल ने अपने पूर्ववर्ती नजीब जंग के अचानक इस्तीफे के बाद 31 दिसंबर 2016 को दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था।
1969 बैच के आईएएस अधिकारी बैजल 5 साल और 4 महीने से अधिक समय से दिल्ली के उपराज्यपाल थे। इससे पहले वे कई प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत केंद्रीय गृह सचिव के रूप में काम किया है। बैजल ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव, इंडियन एयरलाइंस के अध्यक्ष और एमडी, प्रसार भारती के सीईओ, गोवा के विकास आयुक्त और दिल्ली के आयुक्त (बिक्री कर और उत्पाद शुल्क) के रूप में भी काम किया है।
शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और बुनियादी सेवाओं में सुधार के लिए शुरू किए गए जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन का नेतृत्व बैजल ने किया था। उन्होंने वर्तमान में रेल मंत्री एसपी प्रभु की अध्यक्षता में विद्युत, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकृत विकास के लिए सलाहकार समूह के सदस्य के रूप में भी काम किया।
अरविंद केजरीवाल के साथ कई मुद्दों पर हुआ था विवाद
बता दें कि दिल्ली में उपराज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। दिल्ली विशेष चरित्र वाला केंद्र शासित प्रदेश है। इसकी सरकार में उपराज्यपाल के माध्यम से एक निर्वाचित राज्य सरकार और केंद्र दोनों शामिल हैं। भूमि, पुलिस, कानून-व्यवस्था और सेवाओं से संबंधित मामले एल-जी के अंतर्गत आते हैं।
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उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच टकराव की कई बार नौबत आई थी। बैजल का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ शासन से जुड़े कई मुद्दों पर विवाद चल रहा था। सबसे बड़ा आमना-सामना तब हुआ जब केजरीवाल और उनके मंत्रियों के मंत्रिमंडल ने उपराज्यपाल कार्यालय में धरना दिया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार में तैनात आईएएस अधिकारी निर्वाचित अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। मुख्य मुद्दों में से एक शहर भर में सीसीटीवी कैमरे लगाना था।
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