सार

सीबीआई ने दिल्ली लिकर पॉलिसी केस (Delhi liquor policy case) में पहली चार्जशीट फाइल कर दिया है। इसमें सात आरोपियों के नाम दर्ज हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम चार्जशीट में नहीं है।
 

नई दिल्ली। बहुचर्चित दिल्ली लिकर पॉलिसी केस (Delhi liquor policy case) की जांच सीबीआई (Central Bureau of Investigation) कर रही है। इस घोटाला में मुख्य आरोपी दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बताया जा रहा है। सीबीआई ने सिसोदिया के घर पर छापा मारा है और उनसे पूछताछ भी की है। 

इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि सीबीआई द्वारा शुक्रवार को फाइल किए गए चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम शामिल नहीं है। सीबीआई ने चार्जशीट में सिसोदिया का नाम शामिल नहीं किए जाने का कारण बताया है। जांच एजेंसी ने कहा है कि सिसोदिया के खिलाफ अभी जांच चल रही है। 

सीबीआई ने फाइल की पहली चार्जशीट 
शराब घोटाला में सीबीआई द्वारा यह पहली चार्जशीट फाइल की गई है। चार्जशीट में सात लोगों के नाम हैं। इसमें आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज विजय नायर और हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं। इसके साथ ही चार्जशीट में शराब कारोबारी समीर महेंद्रू, बोइनपल्ली के सहयोगी अरुण पिल्लई, मुत्थु गौतम और दो सरकारी अधिकारियों के नाम हैं। इन अधिकारियों ने पहले एक्साइज डिपार्टमेंट में काम किया है। 

सीबीआई की चार्जशीट दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल के समक्ष दायर की गई थी। चार्जशीट में कहा गया है कि लाइसेंसधारियों के साथ साजिश और संबंधित धन के लेन-देन जैसे विभिन्न पहलुओं पर लोक सेवकों और अन्य की संलिप्तता पर आगे की जांच लंबित है। बाद में सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की जाएगी। दिल्ली लिकर पॉलिसी मामले में अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी। 

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क्या है मामला?
दिल्ली सरकार बीते साल नई आबकारी नीति लाई थी। दिल्ली आबकारी नीति के लागू होने के बाद आप सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप है कि इस नीति से डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने करीबियों को लाभ पहुंचाया है। इसके एवज में उनके खास लोगों के माध्यम से करोड़ों रुपए का ट्रांसफर किया गया है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामला उलझते देख अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति वापस लेकर पुरानी नीति बहाल कर दी थी। विवादास्पद आबकारी नीति 17 नवम्बर 2021 को लागू की गई थी। 

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