सार

द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (द बीएमजे) ने भारत में एयर पॉल्यूशन को लेकर शॉकिंग खुलासा किया है। पत्रिका में बताया गया है कि हर सबसे ज्यादा मौतें चीन में होती हैं लेकिन भारत भी दूसरे नंबर पर मौजूद है।

 

Air Pollution India. द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों पर चौंकाने वाला आंकड़ा दिया है। जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में प्रतिवर्ष एयर पॉल्यूशन की वजह से 21 लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। चीन के बाद पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से मरने वालों का यह दूसरा भयावह आंकड़ा है। यह रिपोर्ट ऐसे वक्त पर सामने आई है, जब दिल्ली-एनसीआर के बाद खराब एक्यूआई लेवल की वजह से सांस लेने की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। चौंकाने वाली इस रिपोर्ट में एयर पॉल्यूशन के कारणों को भी बताया गया है।

क्या कहती है ब्रिटिश जर्नल की रिसर्च रिपोर्ट

द ब्रिटिश जर्नल की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि इंडस्ट्री, बिजली प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्टेशन में जीवाश्म ईंधन का प्रयोग होता है जिसकी वजह से पूरी दुनिया में हर साल 51 लाख लोग मर जाते हैं। इन मौतों को नवीकरणी ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाकर रोका जा सकता है। पूरी दुनिया इस भयानक समस्या का सामना कर रही है और भारत को सबसे ज्यादा प्रभावित है। अकेले भारत में ही 21 लाख से ज्यादा लोगों की मौत सिर्फ एयर पॉल्यूशन की वजह से हो रही है। यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि मौतों के मामले में भारत पूरी दुनिया में करीब आधे की हिस्सेदारी कर रहा है।

कैसे दूर किया जा सकता है वायु प्रदूषण

रिपोर्ट में बताया गया है कि जीवाश्म वाले ईंधन के प्रयोग को स्टेप बाई स्टेप कम करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस ईंधन का प्रयोग बंद होने से मौतों की संख्या में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेगिस्तानी धूल और जंगलों में लगने वाली प्राकृतिक आग के अलावा ज्यादातर वायु प्रदूषण मानव जनित सोर्स से होता है। इस पर रोक लगाने की तत्काल आवश्यकता है।

रिपोर्ट में किया गया है शॉकिंग खुलासा

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 में एयर पॉल्यूशन ने 83 लाख लोगों की जान ली थी। सबसे ज्यादा मौतें दक्षिण और पूर्वी एशिया में होती हैं। चीन में हर साल 24.40 लाख और भारत में 21.80 लाख लोग वायु प्रदूषण से दम तोड़ देते हैं। इनमें से 30 प्रतिशत हृदय रोग, 16 प्रतिशत फेफड़े की बीमारी और 6 प्रतिशत डायबिटीज से ग्रसित होते हैं।

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