सार
दिल्ली ट्रांसफर पॉलिसी ऑर्डिनेंस को लेकर केंद्र बनाम केजरीवाल के मुद्दे पर कांग्रेस ने अपनी स्थिति क्लियर की है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने ट्वीट करके बताया है कि पार्टी क्यों केंद्र के आर्डिनेंस का विरोध नहीं करेगी।
Delhi Transfer Policy Ordinance. दिल्ली की केजरीवाल सरकार दिल्ली के लिए बने ट्रांसफर पॉलिसी ऑर्डिनेंस का विरोध कर रही है। जबकि कांग्रेस नेता अजय माकन ने ट्वीट करके बताया है कि आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी केंद्र के आर्डिनेंस का विरोध नहीं करेगी। अजय माकन ने ऑर्डिनेंस का विरोध न करने के प्रशासनिक, राजनैतिक और कानूनी पक्ष को सामने रखा है। आइए जानते हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या कह रही है?
Delhi Transfer Policy Ordinance: क्या हैं दो जरूरी कारण
अजय माकन ने ट्वीट किया कि हम केजरीवाल का समर्थन करते हैं तो कई बुद्धिमान नेताओं के विजन को गलत साबित करेंगे। यदि हम आर्डिनेंस का विरोध करते हैं तो 21 दिसंबर 1947 को बाबा साहेब अंबेडकर, 1951 में पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल, 1956 में पंडित नेहरू का एक और फैसला, 1964 में गृह मंत्री और 1965 में प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री और 1991 में नरसिम्हा राव की नीतियों का विरोध होगा। दूसरा कारण यह है कि अगर यह ऑर्डिनेंस पास नहीं तो केजरीवाल पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज से ऊपर पॉपुलैरिटी पाने की कोशिश करेंगे।
Delhi Transfer Policy Ordinance: क्या है प्रशासनिक कारण
माकन के अनुसार दिल्ली के मामले में कूपरेटिव फेडरलिज्म फिट नहीं बैठता है। यह सिर्फ कोई स्टेट यूनियन टेरिटरी नहीं बल्कि देश की राजधानी है। यहां केंद्र की भी जिम्मेदारी है और भारतीय नागरिक जो दिल्ली में रहते हैं, उनका इसका लाभ मिलना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार हर साल 37,500 करोड़ रुपए खर्च करती है और दिल्ली सरकार पर इसका बोझ नहीं पड़ता। ऐसे कॉम्पलेक्स मुद्दे के लिए ही 21 अक्टूबर 1947 को बाबा साहेब अंबेडकर ने कमिटी बनाई थी। बाद की कई सरकारों ने इसके लिए ऐसे ही काम किया है। पंडित नेहरू से लेकर नरसिम्हा राव तक सभी सरकारों ने केंद्र के पावर को बरकरार रखा और दिल्ली की विधायी शक्तियों का सम्मान किया। केजरीवाल इसे बदलना चाहते हैं।
Delhi Transfer Policy Ordinance: क्या है राजनैतिक कारण
केजरीवाल कांग्रेस पार्टी का समर्थन चाहते हैं। लेकिन उनकी पुरानी राजनीति से सवाल खड़े होते हैं। उनकी पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर एक रेजोल्यूशन पास कराने की कोशिश की थी जिसमें हमारे नेता राजीव जी से भारत रत्न सम्मान छीनने की बात थी। केजरीवाल ने पार्लियामेंट के बाहर और भीतर जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है। केजरीवाल ने मुख्य न्यायाधीश के मामले में भी बीजेपी का समर्थन किया था। केजरीवाल दूसरे राज्यों के चुनावों में भी बीजेपी के साथ हैं और उनकी राजनीति संदिग्ध है, इसलिए कांग्रेस केजरीवाल का समर्थन नहीं कर सकती।
Delhi Transfer Policy Ordinance: क्या है कानूनी पक्ष
कांग्रेस नेता अजय माकन ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानूनों में फेरबदल का अधिकार दिया है। यदि केंद्र सरकार एनसीटीडी में किसी तरह का बदलाव चाहती है तो लेफ्टिनेंट गवर्नर ऐसा कर सकते हैं। अजय माकन ने ट्वीट किया कि केजरीवाल का समर्थन करना और ऑर्डिनेंस का विरोध करना किसी भी पार्टी के लिए पुराने राजनेताओं की दूरदर्शिता पर सवाल उठाने जैसा होगा।
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