सार

भारतीय नौसेना (Indian Navy) को स्वदेशी विमान वाहक (IAC) विक्रांत की डिलीवरी मिल चुकी है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (Kochin Shipyard Limited) ने एयरक्राफ्ट की डिलीवरी पूरी करने के साथ ही इतिहास रच दिया है।

कोचीन. भारतीय नौसेना को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड कोच्चि से प्रतिष्ठित स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत की डिलीवरी मिल चुकी है। भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND) द्वारा इसकी डिजाइन तैयार की गई थी। यह CSL द्वारा निर्मित, शिपिंग मंत्रालय (MoS) के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है, जिसका नाम भारत के पहले विमान वाहक पोत विक्रांत के नाम पर रखा गया है। विमान वाहक विक्रांत ने 1971 के युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत विमान की डिलीवरी सुनिश्चित की गई है। माना जा रहा है कि यह विक्रांत का पुर्नजन्म है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने में कारगर साबित होगा।

मेक इन इंडिया है विक्रांत
आईएसी विक्रांत 262 मीटर लंबा है और इसका वजन लगभग 45,000 टन है। यह पूर्ववर्ती जहाज की तुलना में बहुत बड़ा और उन्नत तकनीकी से लैस है। जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है। इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। विमान वाहक जहाज की कुल लागत 20,000 करोड़ रुपए है। परियोजना को MoD और CSL के बीच अनुबंध के तीन चरणों में पूरी की गई है। यह चरण क्रमशः मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में संपन्न हुए। इसमें 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री लगी है आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को पूरा करता है। इस जहाज का निर्माण मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत किया गया है।

आधुनिका तकनीकी से लैस है

  • विक्रांत को मशीनरी संचालन, जहाज नेविगेशन की क्षमता के साथ बनाया गया है।
  • इसे फिक्स्ड विंग और रोटरी विमानों के वर्गीकरण को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • यह जहाज स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के लिए मुफीद है।
  • यह एमआईजी-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकाप्टरों की उड़ान के लिए सक्षम है।
  • विमान वाहक जहाज में 30 विमानों का एयर विंग है। यह उड़ान के दौरान बेहतर प्रदर्शन करेगा।
  • विमान वाहक जहाज में बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी लगाई गई है। 

इन कंपनियों की रही भूमिका 
स्वदेशी विमान वाहक के निर्माण में देश की प्रमुख औद्योगिक इकाईयां जैसे बीईएल, भेल, जीआरएसई, केल्ट्रोन, किर्लोस्कर, लार्सन एंड टुब्रो, वार्टसिला इंडिया आदि के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई का सहयोग लिया गया है। इससे भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास अपनी उन्नत तकनीक है। मुख्य रुप से भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण के सहयोग से स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण किया गया है। वर्तमान में देश में जो भी युद्धपोत निर्मित किए जा रहे हैं, उसमें स्वदेशी स्टील का ही उपयोग किया जा रहा है।

3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल
इस करियर डिजाइन को आकार देने में नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। सीएसएल ने जहाज के निर्माण के दौरान बुनियादी ढांचे के साथ उत्पादकता कौशल को भी उन्नत किया है। विक्रांत की डिलीवरी के दौरान भारतीय नौसेना की ओर से कमांडिंग अधिकारी, नौसेना मुख्यालय और युद्धपोत निगरानी दल (कोच्चि) के प्रतिनिधियों सहित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की ओर से अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक द्वारा स्वीकृति दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया गया। साथ भारतीय नौसेना व कोचीन शिपयार्ड के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें

कर्नाटक सीएम बोम्मई ने कहा- यदि जरूरत पड़ी तो लागू करेंगे 'योगी मॉडल', कर्नाटक में भी गरजेगा बुलडोजर