सार
कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच आज एक खुशखबरी आई है। DRDO की एंटी कोविड ड्रग 2DG आज लॉन्च हो गई। यह 10000 पैकेट के पहले बैच के इमरजेंसी यूज के साथ रिलीज हुई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अलावा एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये दवा की लॉन्चिंग की। दावा किया गया है कि इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। बुजुर्ग मरीजों पर इसका अच्छा परिणाम देखने को मिला।
नई दिल्ली. देश में कोरोना के खिलाफ जारी युद्ध के बीच आज एक खुशखबरी आई है। DRDO की एंटी कोविड ड्रग 2DG आज लॉन्च हो गई। यह 10000 पैकेट के पहले बैच के इमरजेंसी यूज के साथ रिलीज हुई। खास बात ये है कि यह दवा जून के पहले हफ्ते में देश के सभी प्रमुख अस्पतालों में उपलब्ध होगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अलावा एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये दवा की लॉन्चिंग की। दावा किया गया है कि इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। बुजुर्ग मरीजों पर इसका अच्छा परिणाम देखने को मिला। इस दवा को आम दवाओं की तरह पानी में घोलकर पीया जाता है। यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जाकर जम जाती है। इसके बाद यह सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन कर वायरस को फैलने से रोक देती है। दवा खुद संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढ़ती है।
लॉन्चिंग पर इन्होंने कहा
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन-मई के महीने में आज का दिन हम सबके लिए सबसे ज़्यादा सुखद दिन है। हम एक साल से ज़्यादा समय से कोविड की जंग लड़ रहे हैं। रक्षा क्षेत्र के आउटकम के तहत ये हमारी पहली स्वदेशी दवा है, ये कोविड वायरस के प्रकोप को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कम करने की पूरी क्षमता रखती है।
- केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह-इस दवा को तैयार करने में जिन वैज्ञानिकों की मुख्य भूमिका है, मैं उन्हें अपने हाथों से सम्मानित करना चाहूंगा। ये दवा आशा और उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है, ये दवा हमारे देश के वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक क्षमता की एक मिसाल है।
- DRDO प्रमुख जी. सतीश रेड्डी-अभी सप्ताह में 10,000 के आस पास कुल उत्पादन होगा। आज AIIMS, AFMS और DRDO अस्पतालों में दे रहे हैं। बाकी राज्यों को अगले चरण में देंगे। अभी थोड़ी देरी है। जून के पहले हफ्ते से सभी जगहों पर 2DG दवा उपलब्ध होगी। यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर सीधा काम करेगी। शरीर का इम्यून सिस्टम काम करेगा और मरीज जल्दी ठीक होगा। इसे मरीज के वजन और डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के आधार पर कम से कम 5-7 दिन सुबह-शाम 2 डोज़ लेनी है।
यह भी जानें
बता दें कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO(Defence Research and Development Organisation) से संबद्ध 'इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइसेंस-INMAS और और हैदराबाद सेंट फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी-CCBM के संयुक्त उपक्रम में 2DG निर्मित की गई है। यह दवा पाउडर के रूप में है। सबसे पहले इसे दिल्ली के DRDO कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिया जाएगा। इस दवा का देशभर के 27 अस्पतालों में आखिरी ट्रायल किया गया था। यहां से बची दवाओं को दिल्ली के DRDO के अस्पताल में पहुंचाया गया है। अभी ये दवा अस्पतालों में डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाएगी। यानी इसे इमरजेंसी यूज के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।
हैदराबाद की डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज में होगा उत्पादन
पिछले हफ्त ही इस दवा को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया था। इस दवा का अभी नाम 2-deoxy-D-glucose(2-DG) रखा गया है। इसे आमजनों की भाषा में बदला जा सकता है। इसके उत्पादन की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज को दी गई है। दावा है कि इस दवा के सभी क्लिनिकल ट्रायल सफल रहे हैं। इस दवा के सेवन ने कोरोना मरीज तेजी से रिकवर हुआ।
2020 में शुरू हुआ था प्रयोग
इस दवा पर अप्रैल, 2020 में प्रयोग शुरू हुए थे। मई,2020 में DCGI ने इसे फेज-2 ट्रायल्स की मंजूरी दी थी। फेज-2 के तहत पहला ट्रायल 6 अस्पतालों में हुआ था, जबकि फेज-2 का दूसरा ट्रायल 11 अस्पतालों में कराया गया। इसमें 110 मरीजों को शामिल किया गया था। यह ट्रायल मई से अक्टूबर तक चला। इसमें साबित हुआ कि इस दवा के सेवन से मरीज जल्दी ठीक हुए। फेज-3 का ट्रायल दिसंबर, 2020 से मार्च तक चला। इसमें 27 अस्पतालों में 220 मरीजों को शामिल किया गया था। ये ट्रायल यूपी, बंगाल, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के अस्पताल शामिल किए गए थे।
दवा को लेकर किया गया दावा
DRDO का दावा है कि इस दवा के सेवन के बाद 42 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की समस्या नहीं हुई। वे तीसरे दिन ही सामान्य हो गए। जिन्हें यह दवा नहीं दी गई थी, उनमें से 31 प्रतिशत मरीज ही दूसरी दवाओं से ठीक हुए। यानी इस दवा से ठीक होने का प्रतिशत अधिक रहा। यह ट्रेंड 65 साल से अधिक आयु के लोगों में देखा गया।
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