सार

18 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष और तीर' चिन्ह के इस्तेमाल करने का फैसला दिया था। चुनाव आयोग का निर्णय आने के बाद शिंदे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी।

Shiv Sena National executive: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है। मंगलवार को शिवसेना विधायकों, सांसदों और नेताओं की एक महत्वपूर्ण मीटिंग में शिंदे को नया प्रमुख चुना गया। 18 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष और तीर' चिन्ह के इस्तेमाल करने का फैसला दिया था। चुनाव आयोग का निर्णय आने के बाद शिंदे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी।

शिंदे की अध्यक्षता में शिवसेना की यह पहली मीटिंग

चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग की। 'शिवसेना' नाम और 'धनुष और तीर' चिन्ह मिलने के बाद शिंदे की यह पहली मीटिंग थी। बैठक में विधायक, सांसद और शिवसेना के अन्य नेता शामिल हुए, जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी से अलग होने के बाद से शिंदे के साथ काम कर रहे हैं। इस मीटिंग में शिंदे को सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुन लिया गया।

संसद में शिवसेना कार्यालय भी शिंदे गुट को आवंटित

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गुट को संसद में भी शिवसेना का ऑफिस सौंप दिया गया है। संसदीय दल के नेता राहुल शेवाले के एक पत्र के जवाब में लोकसभा सचिवालय ने इसकी पुष्टि की कि संसद में कमरा संख्या 128 को पार्टी के संसदीय दल के लिए आवंटित कर दिया गया है।

हम बाला साहेब के उत्तराधिकारी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि शिवसेना पर चुनाव आयोग के फैसले के बाद किसी भी पार्टी की संपत्ति पर कोई दावा नहीं किया जाएगा क्योंकि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं और हमें कोई लालच नहीं है।

चुनाव आयोग शिंदे गुट के पक्ष में दे चुका है निर्णय

शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों के बीच खींचतान चल रही थी। दोनों गुट खुद को असली शिवसेना का हकदार होने का दावा कर रहे थे। बीते शुक्रवार 18 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में निर्णय देते हुए शिवसेना नाम और तीर-कमान चुनाव चिह्न के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। इस फैसले से उद्धव ठाकरे गुट ने सवाल खड़े किए हैं। ठाकरे गुट, सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पांच सदस्यीय जजों की संविधान पीठ इस पर सुनवाई करेगी।

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