सार

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (new variant Omicron) ने दुनियाभर के देशों को चिंता में डाल दिया है। इस बीच अगले साल देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। इसे लेकर आज चुनाव आयोग(Election commission) स्वास्थ्य मंत्रालय के सीनियर आफिसर्स के साथ बैठक करने जा रहा है।
 

नई दिल्ली. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (new variant Omicron) ने अगले साल पांच राज्यों(उत्तर प्रदेश, पंजाब, त्रिपुरा, गोवा और मणिपुर) में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को खतरे में डाल दिया है। चुनाव होंगे, तो संक्रमण रोकने क्या इंतजाम किए जाएंगे, इसे लेकर आज चुनाव आयोग(Election commission) स्वास्थ्य मंत्रालय के सीनियर आफिसर्स के साथ बैठक करने जा रहा है। बता दें कि देश में ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या 529 पार कर गई है।  देश के 19 राज्यों में ओमिक्रोन पहुंच चुका है।

बैठक काफी महत्वपूर्ण है
बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव राजेश भूषण विशेषतौर पर मौजूद रहेंगे। बैठक में देश में कोरोना के मौजूद हालात की समीक्षा होगा। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के फीडबैक के आधार पर ही इन पांच राज्यों में चुनाव कराने या नहीं कराने का फैसला होगा। इन सभी राज्यों में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में 8-10 महीने से भी कम का समय बचा है। यहां चुनाव से पहले चुनाव आयोग अपनी तैयारियां शुरू कर चुका है।

यह भी जानें 
इन राज्यों में से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सरकार हैं। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। निर्वाचन आयोग के एक जनवरी, 2021 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 14.66 करोड़, पंजाब में दो करोड़, उत्तराखंड में 78.15 लाख, मणिपुर में 19.58 लाख और गोवा में 11.45 लाख मतदाता हैं। यानी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक वोटर हैं। यहां का चुनाव भी राजनीति तौर पर बेहद खास है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की थी चुनाव टालने की अपील
पिछले दिनों भीड़ जुटने के चलते कोरोना फैलने के खतरे को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव टालने की अपील की थी। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा था, 'UP में होने वाले विधानसभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों पर रोक लगाए। उनसे कहा जाए कि वे चुनाव प्रचार टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से करें। प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।' 

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