सार
प बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में रविवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। तमिलनाडु को छोड़कर इन चुनावों में कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई। यहां तक की बंगाल में 2016 में 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का खाता नहीं खुला। इसके बावजूद कांग्रेस के नेता भाजपा की हार में अपनी खुशी खोजने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन कुछ कांग्रेसी नेताओं ने इस आचरण को लेकर पार्टी पर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली. प बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में रविवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। तमिलनाडु को छोड़कर इन चुनावों में कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई। यहां तक की बंगाल में 2016 में 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का खाता नहीं खुला। इसके बावजूद कांग्रेस के नेता भाजपा की हार में अपनी खुशी खोजने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन कुछ कांग्रेसी नेताओं ने इस आचरण को लेकर पार्टी पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने ट्वीट किया, यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्म-मंथन कैसे करेंगे।
बंगाल में सरेंडर करना अस्वीकार्य- संजय झा
कांग्रेस से निष्कासित चल रहे संजय झा ने भी बंगाल में सही से चुनाव ना लड़ने को लेकर पार्टी पर निशाना साधा है। संजय झा ने कहा, मेरी लिए सबसे बड़ी निराशा ये है कि बंगाल में कांग्रेस ने सरेंडर किया। यह अस्वीकार्य है। यह उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की तरह चला गया। 2016 में कांग्रेस बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी थी, पार्टी ने 44 सीटें जीती थीं और 12.25% वोट हासिल किए थे। इसी के साथ उन्होंने बदलाव की भी मांग की।
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, अगर कांग्रेस कॉरपोरेट है और एक सीईओ इसे चला रहा तो पूरे बोर्ड को इस्तीफा देना चाहिए। शेयरहोल्डर्स को इसे खुशी के साथ स्वीकार करना चाहिए। नया सीईओ और नई टीम चुनी जानी चाहिए। यह कोई बड़ी बात नहीं है। अकेले प्रदर्शन ही मायने रखता है। बदलवा अच्छी चीज है।
केरल ने राहुल गांधी की विचारधारा को खारिज किया
कार्टूनिस्ट पंकज शंकर ने लिखा, केरल ने राहुल गांधी को उनकी वैचारिक असंगति और दिवालियापन के लिए खारिज कर दिया। प बंगाल में आप उस विचारधारा से गठबंधन नहीं कर सकते, जिसके सबसे बड़े नेता के खिलाफ आप केरल में लड़ रहे हैं। राहुल गांधी का परीक्षण असफल रहा।