सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को रोहतांग अटल टनल का उद्धाटन किया। यह टनल मनाली को लेह से जोड़ेगी। इसके चालू होने के बाद मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी। यह सुरंग सामरिक तौर पर भी काफी अहम मानी जा रही है।

नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को रोहतांग अटल टनल का उद्धाटन किया। यह टनल मनाली को लेह से जोड़ेगी। इसके चालू होने के बाद मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी। यह सुरंग सामरिक तौर पर भी काफी अहम मानी जा रही है। टनल को बनाने की शुरुआत 2010 में हुई थी। इसे 2015 में बनाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन यह इतना आसान नहीं था। टनल को बनाने के लिए देश के इंजीनियरों और मजदूरों की दस साल की कड़ी मेहनत करनी पड़ी। आईए जानते हैं कि टनल बनने में देरी क्यों हुई और इसे बनाने में क्या कठिनाईयां आईं...

अटल सुरंग को एफकॉन्स कंपनी ने बनाया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 2009 में शापूरजी पोलोनजी समूह की कंपनी एफकॉन्स और ऑस्ट्रिया की कंपनी स्टारबैग को इसके निर्माण का टेका दिया था। इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा। पूर्वी पीर पंजाल पर बनी यह सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है। सुरंग में कार अधिकतम 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है।

क्यों लगा अधिक समय?
इस सुरंग को घोड़े के नाल के आकार की बनाया गया है। यह देश की पहली ऐसी सुरंग होगी जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनाई गई है। सुरंग को बनाने में हुई देरी की मुख्य वजह है सेरी नाला। सेरी नाला 410 मीटर लंबा है। यह हर सेकेंड 125 लीटर से अधिक पानी निकालता है। इस वजह से यहां काम करना बहुत मुश्किल था। इंजीनियरों को 410 मीटर की खुदाई करने में तीन साल से अधिक का समय लगा।

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सेरी नाला क्षेत्र में पड़ता है सुरंग का दक्षिणी द्वार
सेरी नाला क्षेत्र में ही सुरंग का दक्षिणी द्वार पड़ता है। कमजोर भूवैज्ञानिक परिस्थितियों के चलते इंजीनियरों को इस क्षेत्र में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। यहां नाले से बहने वाले पानी से बार बार सुरंग का दरवाजा बंद हो जाता था। बार्डर रोड आर्गनाइजेशन यानी कि बीआरओ चुनौतिपूर्ण हालात और प्रतिकूल मौसम के बावजूद इस सुरंग को बनाने में जुटी रही। सेरी नाला क्षेत्र में सुरंग का निर्माण अक्टूबर 2017 में पूरा हो सका।

सिर्फ 5 महीने दो पाता था काम
अटल टनल को बनाने के लिए दोनों छोरों से काम किया गया। अटल टनल प्रॉजेक्ट के डायरेक्टर कर्नल परीक्षित मेहरा का कहना है कि लेह को जोड़ने के लिए यह हमारा सपना था और यह कनेक्टिविटी मजबूत करने की दिशा में पहला कदम था। यह सुरंग एक चुनौतीपूर्ण परियोजना थी, क्योंकि हम केवल दो छोर से काम कर रहे थे। दूसरा छोर रोहतांग पास में उत्तर में था। एक साल में सिर्फ पांच महीने ही काम हो पाता था।'

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कितने लोगों ने किया काम
सुरंग को बनाने में 1000 कर्मचारी, 150 इंजीनियर लगे रहे। टनल बनाने में 14508 मीट्रिक टन स्टील और 237596 मीट्रिक टन सीमेंट लगा। वहीं, 14 लाख क्यूविक मीटर्स मिट्टी भी खोदी गई।

चेनाब नदी पर सिंगल आर्क रेलवे ब्रिज बना रही यही टीम
जिस कंपनी ने अटल सुरंग बनाई है, वही जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा 'सिंगल आर्क रेलवे ब्रिज' भी बना रही है। सिंगल आर्क पुल में दो पर्वतों को आधार बनाकर उनके बीच एक उल्टे चांदनुमा आकार का गार्डर बनाया जाता है।