सार
मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान यह भारत के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है, जब राज्यपालों की नियुक्तियों में भी हर वर्ग/समुदाय को बराबर का मौका मिला है। बता दें कि मंगलवार को 8 राज्यों के राज्यपालों की नियुक्तियां की गईं।
नई दिल्ली. यह भारत के राजनीतिक इतिहास की दिलचस्प और अनूठी बात कही जा सकती है कि इस समय राज्यपालों की नियुक्तियों में हर समुदाय SC/ST, OBC के अलावा महिलाओं और मुस्लिम समुदाय को बराबर का प्रतिनिधित्व मिल रहा है। आइए जानते हैं इस समय कौन राज्यपाल किस समुदाय से आता है। देश के राष्ट्रपति कोविंद रामनाथ कोविंद खुद दलित समुदाय से आते हैं। यानी इस समय देश में सामाजिक समरसता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है।
मोदी सरकार के दौरान राज्यपालों की नियुक्तियों में SC/ST और OBC के अलावा महिलाओं की रिकॉर्ड संख्या
थावरचंद गहलोत: भाजपा के एक शीर्ष एससी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री में से हैं, जो अब कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में काम करेंगे।
जनजातीय समुदायों(Tribal communities) के राज्यपाल: मंगूभाई पटेल, जो अब मध्य प्रदेश के राज्यपाल होंगे, गुजरात में वर्षों के राजनीतिक अनुभव के साथ आदिवासी समुदायों के लंबे समय से नेता हैं। जबकि अनुसुइया उइके छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं।
ओबीसी से राज्यपाल: राज्यपाल जैसे पदों पर OBC नेताओं को भी पूरा सम्मान दिया गया है। लोनिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले फागू चौहान बिहार के राज्यपाल हैं। जबकि रमेश बैस अब झारखंड के राज्यपाल बनेंगे। बंडारू दत्तात्रेय हिमाचल प्रदेश में एक कार्यकाल के बाद हरियाणा के राज्यपाल होंगे। गंगा प्रसाद चौरसिया सिक्किम के राज्यपाल हैं। तमिलिसाई सुंदरराजन तेलंगाना में पुडुचेरी के अतिरिक्त प्रभार के साथ कार्यरत हैं।
जाट समुदाय के 3 राज्यपाल: यह शायद भारत के इतिहास में पहली बार है कि जाट समुदाय से संबंधित 3 राज्यपाल हैं। जगदीप धनखड़ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के हैं। आचार्य देवव्रत पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के राज्यपाल हैं। सत्यपाल मलिक मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं।
दो प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवी: आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल हैं। जबकि नजमा हेपतुल्ला मणिपुर की राज्यपाल हैं।
दो तेलुगु राज्यपाल: हरि बाबू कंभमपति और बंडारू दत्तात्रेय के साथ राज्यपालों की सूची में तेलुगु नेताओं की संख्या 2 हो जाती है।