सार

देश में हिजाब पर मचे विवाद के बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। लेकिन इसको लेकर दो समुदायों में अलग-अलग राय है। सोशल मीडिया से लेकर राज्यों तक एक बड़ा वर्ग यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग कर रहा है तो एक वर्ग इसका विरोध कर रहा है। खासकर, मुस्लिमों में सिविल कोड को लेकर गलतफहमियां हैं। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस पर अपनी दो टूक राय दी है। 

देश में हिजाब पर मचे विवाद के बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। लेकिन इसको लेकर दो समुदायों में अलग-अलग राय है। सोशल मीडिया से लेकर राज्यों तक एक बड़ा वर्ग यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग कर रहा है तो एक वर्ग इसका विरोध कर रहा है। खासकर, मुस्लिमों में सिविल कोड को लेकर गलतफहमियां हैं। इस बीच एशियानेट न्यूज ने इस मुद्दे पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से बातचीत की। उनका कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड से किसी तरह की मुश्किलें नहीं पैदा होने वाली। हां, इसको लेकर गलतफहमियां दूर करने की जरूरत है। 

यूनिफॉर्म सिविल कोड शादी की मेहर देने से थोड़े ही रोकेगा

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केरल के राज्यपाल ने कहा कि हमारे संविधान में इसका (यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड) प्रावधान है। ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा माहौल पैदा करें, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड वास्तविकता बन सके। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद सबके बीच में समरूपता पैदा करना नहीं है। यह आपके रस्मों-रिवाज को नहीं रोकेगा। सिविल कोड यह थोड़े कहेगा कि मुसलमानों को शादी के बाद मेहर नहीं देना है। इसे नहीं रोकेगा। मुसलमानों की बड़ी तादात उन देशों में रह रही है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, तो क्या इससे उनके मजहब को कोई खतरा पैदा हो गया है? जब वहां नहीं हुआ तो हिंदुस्तान में कैसे पैदा हो जाएगा। जब तक हम अपने लोगों के दिमाग से उन गलतफहमियां नहीं निकाल देते जो पैदा की गई हैं, तब तक इसे लागू करने में दिक्कत आ सकती है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ये गलतफहमियां दूर हों। जैसे और हमारे कानून जिसे मजहबी कवानीन कहते हैं, उसमें सिविल लॉज के अलावा क्रिमिनल लॉज भी, मर्केंटाइल लॉ (व्यावसायिक कानून) हैं। वो अगर हम कबूल कर सकते हैं तो कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं कबूल कर सकते हैं। 

आखिर क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड, क्यों हो रही इसकी मांग  
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है- देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून। इसके लागू होने पर धर्म आधारित कानूनों की मान्यता खत्म हो जाएगी। वर्तमान समय में देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग कानून (पर्सनल लॉ) हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर हर धर्म के लिए एक सा कानून लागू होग। यानी हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता आ जाएगी। 

इसलिए जरूरी : दरअसल, धर्म के आधार पर पर्सनल लॉ होने के चलते कई मामले अदालतों में लंबित होते हैं। इससे अदालतों पर बोझ बढ़ता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी धर्मों के मामलों में एक कानून लागू होगा। देश में हिजाब विवाद के बीच इस कोड की मांग बढ़ गई है। 

इन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड
कई मुस्लिम देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड पहले से लागू है। लेकिन भारत में इसे लागू करने की बात पर एक वर्ग इसका विरोध करता रहा है। 

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